समस्तीपुर। जिला पशुपालन कार्यालय प्रांगण स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय में विश्व पशु चिकित्सा दिवस के अवसर पर आज 30 अप्रैल को श्वानों को निशुल्क रेबिज रोधी टीकाकरण किया जाएगा। साथ ही जन जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय रोसड़ा व पटोरी में भी इसकी सुविधा मिलेगी। इसको लेकर पशुपालन विभाग ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है। उक्त जानकारी जिला पशुपालन पदाधिकारी डा. राम कुमार सिंह ने दी। बताया कि राज्य सरकार के पशु निदेशालय पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा एक दिवसीय रेबीज रोधी टीकाकरण सह जन जागरूकता शिविर का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का उद्देश्य रेबीज रोग का नियंत्रण एवं उन्मूलन रखा गया है। रेबीज रोग से होने वाले बहुमूल्य मानव एवं पशुधन की प्राण रक्षा करना है। साथ ही रेबीज रोग के नियंत्रण एवं उन्मूलन हेतु जन जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार भी किया जाना है। डा. सिंह ने कहा कि अस्पताल में लगने वाली एक दिवसीय एंटी रेबीज शिविर में सभी कुत्ता पालकों से अनुरोध है कि अपने-अपने कुत्तों को पशु चिकित्सालय में लाकर टीकाकरण अवश्य कराएं।
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जिला पशुपालन पदाधिकारी ने बताया कि रेबीज एक खतरनाक जानलेवा बीमारी है। जिसका कोई इलाज नहीं है। सिर्फ टीकाकरण से ही बचा जा सकता है। रेबीज को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन किया जाना चाहिए। सबसे पहले पशु पालकों को रेबीज के बारे में विशेष रूप से अपने बच्चों के बीच जागरूकता पैदा करना चाहिए, आवारा कुत्तों से अनावश्यक संपर्क से बचना चाहिए, घरेलू कुत्तों के साथ-साथ बेसहारा (आवारा) कुत्तों को भी टीकाकरण अवश्य कराना चाहिए। सुबह से लेकर शाम तक होगा टीकाकरण
टीकाकरण के लिए निश्चित 30 अप्रैल की सुबह 8:00 से शाम 5:00 बजे तक समय निर्धारित किया गया है। कुत्तों में टीकाकरण कराने से मनुष्य एवं मवेशी को रेबीज बीमारी से बचाव हो सकेगा। जिला पशुपालन पदाधिकारी के अनुसार कुत्तों में प्री एक्स्पोजर टीकाकरण के दौरान पहला टीकाकरण तीन माह की उम्र में लगाया जाता है तथा बूस्टर टीकाकरण प्रथम टीकाकरण के तीन सप्ताह के बाद लगता है। तत्पश्चात वर्ष में एक बार टीकाकरण कराया जाता है। जानवर के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीन जरूर लें
जानवर के काटने पर एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। रेबीज के बारे में विशेष रूप से बच्चों के बीच जागरूकता प्रसारित की जानी चाहिए। बेसहारा जानवरों के अनावश्यक संपर्क से भी बचना चाहिए। घरेलु कुत्तों के साथ-साथ बेसहारा कुत्तों का भी टीकाकरण अवश्य किया जाना चाहिए। कुछ व्यक्तियों जैसे कुत्ता पकड़ने वालों, रेबीज रोगियों के सीधे संपर्क में आने वाले मेडिकल और पैरामेडिकल कर्मचारियों को रेबीज से संक्रमित होने का खतरा अधिक होता है, इसलिए इस वर्ग में आने वाले सभी व्यक्तियों को स्वयं को प्रतिरक्षित करवाना चाहिए।