संसू, रेणुग्राम (अररिया ): अक्षय तृतीया का पर्व संग्रह व दान का अपूर्व महोत्सव है।जितना दान करेंगे ईश्वर आपको उससे अधिक यश व धन वापस कर देगा।सदियों पुरानी मान्यता एवं परंपरा का दर्शन अक्षय तृतीया पर आज भी होते है। हालांकि पूर्व की अपेक्षा अब इसमें कमी आई है। फिर भी इसका निर्वहन कमोबेश होते आ रहा है। अक्षय तृतीया का पर्व मंगलवार को है। सनातन मान्यताओं के अनुसार यहां अक्षय तृतीया के अवसर पर प्यासों को जल एवं शरबत दान करने की परंपरा है। बैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन इस इलाके के लोग गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने भी जाते है। जानकारों के मुताबिक अक्षय तृतीया के अवसर पर इलाके के सभी घरों में लोगों को शरबत पीने के लिए जरूर आमंत्रित किया जाता है समाज के प्रतिष्ठित विद्वान को घड़े, छाते, पंखा, वस्त्र जैसी वस्तुएं दान स्वरुप दी जाती है। अन्न दान का भी बहुत महत्व है।क्षेत्रीय विद्वानों,आचार्यों के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व यश व कीर्ति को अक्षय रखने का पर्व है।शास्त्र के अनुसार इस तिथि को किया गया कोई भी दान व्यर्थ नही जाता है। गर्मी के मौसम होने के कारण जल एवं जलपात्रों का दान सबसे सुलभ एवं अच्छा माना जाता है। बीतते वक्त के साथ इस पर्व का रुप भी बदला है। बूढ़े, बुजुर्गो के अनुसार के अनुसार 5055 वर्ष अक्षय तृतीया का पर्व ग्रामीण महोत्सव की तरह आयोजित किया जाता था। अब यह परंपरा कम ही देखने को मिलती है। अब शहरों में सोने -चांदी के जेवर खरीदने का प्रचलन बढ़ रहा है।
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