संवाद सूत्र, कुमारखंड (मधेपुरा)। सरकारी विद्यालयों में नए सत्र की शुरुआत हो गई है। लेकिन पूर्व के भांति इसबार भी अभिभावक बच्चों के हाथ में किताब देना नहीं चाहते हैं। जबकि सारी किताबें बाजार में उपलब्ध हैं। नतीजा है कि बच्चे बिना किताब ही विद्यालय आने को मजबूर हैं। इससे पहले के सत्र 2020-21 में अध्यनरत बच्चों को पहली से आठवीं क्लास के बच्चों के किताब खरीदने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से बच्चों के खाते में पैसा जरूर ट्रांसफर हुआ है। लेकिन इसके बावजूद बच्चों के अभिभावकों ने किताब खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं है। इस कारण बच्चों के पास पढ़ने के लिये किताबें नहीं हैं। किताब खरीद को लेकर विभाग की ओर से पुस्तक मेले का भी आयोजन किया गया,लेकिन बच्चों के अभिभावकों पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा। इसे लेकर विभाग गंभीर है। सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं क्लास के करीब 50 हजार बच्चे हैं। इनमें से अधिकांश बच्चे बिना किताब के ही पढ़ाई कर रहे हैं। बीआरसी से मिले आंकड़ों के मुताबिक प्रखंड में पहली से पांचवीं तक के 3200 और क्लास छह से आठवीं तक के 1600 बच्चे नामांकित हैं। इन में से एक हजार बच्चों के पास ही नई और पुरानी किताब हैं। विभाग की ओर से बच्चों को सहजता से पुस्तक उपलब्ध कराने के लिए बीआरसी केंद्र पर पुस्तक मेला लगाया गया था। लेकिन इसके बावजूद भी बच्चों के पास किताब नहीं है। बहरहाल बीते दो वर्षों से कोरोना के कारण जहां बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है। वहीं अब किताब के पैसे एकाउंट में आने के बावजूद अभिवावक किताब को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।