संवाद सहयोगी, लखीसराय : जिले में अवैध तरीके से संचालित दर्जनों निजी क्लीनिक में मरीजों की जिदगी के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इस कारण विभिन्न निजी क्लीनिक में आए दिन मरीज की मौत होती रहती है। मरीज की मौत के बाद स्वजनों द्वारा हंगामा भी किया जाता है परंतु निजी क्लीनिक में मरीज की मौत होने के अधिकांश मामले मृतक के स्वजनों से लेन-देन करके निबटा लिया जाता है। कुछ मामला थाना तक पहुंचता भी है परंतु रसूख एवं धन के बूते निजी संचालक मामला को दबा दिया जाता है। पुलिस तक मामला पहुंचने एवं निजी क्लीनिक में व्याप्त कुव्यवस्था से आम लोगों के अवगत होते ही निजी क्लीनिक संचालक द्वारा संबंधित निजी क्लीनिक का नाम ही बदल दिया जाता है। इससे कि आम लोग दूसरा निजी क्लीनिक समझकर वहां आ सके। नेहा हास्पिटल का नाम एवं स्थान तीन बार बदला जा चुका है। निजी क्लीनिक संचालक रविकर सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन का कार्य करते हुए अष्टघट्टी मोड़ के पास किसी व्यक्ति के नाम से निजी क्लीनिक संचालित कर रहे थे। उक्त निजी क्लीनिक में एक मरीज की मौत होने के बाद जमकर हंगामा हुआ था। इसके बाद उक्त निजी क्लीनिक को हसनपुर उच्च विद्यालय के सामने आरोग्य सेवा सदन के नाम से संचालित किया जाने लगा। उक्त निजी क्लीनिक के संचालक पर सदर अस्पताल से मरीज को बहला-फुसलाकर ले जाने का भी आरोप लगा। इसके बाद लैब टेक्नीशियन रविकर नौकरी छोड़कर निजी क्लीनिक की देखभाल में ही जुट गए। इसके बाद दामोदरपुर रोड में अपनी जमीन पर भव्य मकान बनाकर उसमें नेहा हास्पिटल के नाम से निजी क्लीनिक संचालित करने लगा। विदित हो कि स्थानीय लता नर्सिंग होम में प्रसूता की मौत होने के बाद जमकर हंगामा होने के बाद उक्त नर्सिंग होम के संचालक एवं सदर अस्पताल के नर्स के विरुद्ध मामला भी दर्ज किया गया। उक्त निजी क्लीनिक को सील भी कर दिया गया परंतु नतीजा वही ढाक का तीन पात निकला। उक्त मामला में अबतक कुछ भी नहीं हुआ बल्कि संबंधित निजी क्लीनिक संचालक द्वारा नाम बदलकर निजी क्लीनिक चलाकर बेरोक-टोक मरीजों का दोहन किया जा रहा है।