जल व पर्यावरण सरंक्षण के साथ बेहतर स्वास्थ्य का संदेश देता जुड़ शीतल का त्योहार

दरभंगा। मिथिलांचल का चर्चित त्योहार जुड़ शीतल शुक्रवार को मनाया जाएगा। इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह है। यह एक ऐसा त्योहार है जिससे विज्ञान का गहरा संबंध है। या फिर यूं कहें कि यह प्राकृतिक संरक्षण को संदेश देता है। जल व पर्यावरण संरक्षण के साथ बेहतर स्वास्थ्य के लिए ही यह त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार के मनाने की विधि में ही सारा राज छुपा हुआ है। तो आएं हम जानते हैं कि इस त्योहार को कैसे मनाया जाता है। दो दिवसीय त्योहार में पहला दिन सतुआनी कहलाता है। घर के देवी-देवताओं के पास घड़ा में पानी रखा जाता है। सत्तू, आम के टिकोले, गुड़ आदि दान करने के साथ खाया जाता है। जो पूरे मिथिलांचल में गुरुवार को बड़े उल्लास के साथ मनाया गया। इस पहले दिन के त्योहार में सत्तू, आम के टिकोले और गड़ और घरा में रखे पानी का विशेष महत्व है। जानकारों का मानना है कि आज से ही गर्मी अपने चरम पर होता है। इसमें लोगों को वायु पित, लू, चेचक आदि कई बीमारी होने का संभावना रहता है। ऐसे में सत्तू और गुड़ खाने से और आम के टिकोले का शर्बत पीने से रोग से मुक्ति मिलती है। वहीं गर्मी के चरम पर होने से पेयजल की समस्या हो जाती है। इसे देखते हुए आवागमन वाले स्थल पर पानी से भरे घरा को रखने की परंपरा है। ताकि, राहगीरों को इसका लाभ मिले। दूसरे दिन का त्योहार जुड़ शीतल कहलाता है। इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। गर्मी में पेड़-पौधा को बचाने के लिए यह संदेश देता है। सूर्योदयकाल में ही लोग उठकर पेड़-पौधों में पानी डालते हैं, ताकि पर्यावरण का सरंक्षण हो सके। घर के बुजुर्ग अपने छोटे के सिर पर बासी पानी डाल कर सदीखन जुराइल रहू का आशीर्वाद देते हैं। इसके बाद धूड़ खेल होता है। इसमें लोग कादो-माटि (कीचड़-मिट्टी) एक-दूसरे के शरीर पर लगाते हैं। विज्ञान का मानना है कि शरीर पर मिट्टी का लेप लगने से तीखी धूप से जो त्वचा रोग होता है उससे यह बचाव करता है। तालाब-नदी की तलहटी की मिट्टी का लेप त्वचा रोग के लिए रामवाण मना जाता है। इससे चेचक भी नहीं होता है। सबसे बड़ी बात यह कि कादो-माटि (कीचड़-मिट्टी) डालने की परंपरा जलसंचय से भी जड़ा है। इस दिन इस परंपरा के माध्यम से लोग जलाशयों की उड़ाही करते हैं । इसके बाद जो बारिश होती है उसे संचय किया जाता है। ताकि, जलाशयों का पानी शुद्ध और साफ रहे। इस दिन का खान-पान भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने का संदेश देता है। हर घर में कढ़ी-बड़ी और सहजन की सब्जी बनता है। यह गर्मी के मौसम में कई बीमारियों से निजात दिलाता है।


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