गोपालगंज : चैत्र नवरात्र के सातवें दिन ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर सहित जिले के सभी प्रमुख मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस बीच तड़के चार बजे से ही मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के बीच घंटी व आरती की ध्वनि सुनाई देने लगी। चैत नवरात्र के सातवें दिन शुक्रवार को मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की उपासना हुई। इस बीच लोगों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। ग्रामीण इलाके में मौजूद दुर्गा मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ दिखी।
शुक्रवार को ऐतिहासिक थावे दुर्गा मंदिर के अलावा लछवार स्थित दुर्गा मंदिर, बरौली प्रखंड के बेलसंड में स्थित नकटो भवानी मंदिर, घोड़ाघाट स्थित दुर्गा मंदिर, बगलामुखी मंदिर, हीरमती रानी दुर्गा मंदिर तथा जलालपुर स्थित दुर्गा मंदिर में भक्तों की अधिक भीड़ दिखी। शुक्रवार होने के कारण तमाम दुर्गा मंदिरों में तड़के चार बजे से ही भक्तों के मंदिर में पहुंचने व देवी के जयकारे से पूरा इलाका भक्तिमय हो उठा। दिन के दस बजे तक मंदिरों में लोगों की अधिक भीड़ दिखी। मीरगंज, हथुआ, कुचायकोट, पंचदेवरी, कटेया में भी चैत्र नवरात्र के सातवें दिन विभिन्न दुर्गा मंदिरों में लोगों की भीड़ लगी रही। सुबह से ही मंदिरों में लोगों की कतारें लग गई। थावे दुर्गा मंदिर के मुख्य पुजारी सुरेश पाण्डेय ने मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इनकी पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति पर आने वाले आकस्मिक संकटों की रक्षा होती है। मां का यह स्वरूप शत्रु और दुष्टों का संहार करने वाला है। नवरात्र के सातवें दिन जो मां कालरात्रि की आराधना करते हैं उन्हें भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय नहीं सताता है। मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है। रंग के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा गया है। मां की चार भुजाएं हैं। असुर रक्तबीज का संहार करने के लिए ही दुर्गा मां ने मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था। जो भी भक्त मां की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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