संवाद सूत्र, मधेपुरा : बिहार दिवस के मौके पर सरकार के आदेश पर समाहरणालय, डीआरडीए कार्यालय, डीडीसी कार्यालय, एसडीओ कार्यालय, सदर थाना व अस्पताल में रोशनी का प्रबंध तो किया गया था। कितु शैक्षणिक संस्थान समेत अन्य कार्यालय में अंधेरा छाया हुआ था। रात 11 बजे शहर का जायजा लिया गया तो पाया कि समाहरणालय, एसडीओ कार्यालय, डीडीसी कार्यालय, डीआरडीए कार्यालय समेत समाहरणालय में संचालित विभिन्न कार्यालयों तथा नगर परिषद को नीली रोशनी से सजाए गए थे। कितु खासकर शैक्षणिक संस्थानों में अंधेरा छाया हुआ था। इतना ही नहीं बिहार दिवस के सफल आयोजन को लेकर आयोजित बैठक में नगरवासियों से अपील की गई थी कि वे अपने घरों पर नीली रोशनी का झालर लगाएं। 110 दीपों का श्रृंखला जलाकर बिहार दिवस का जश्न मनाएं। कितु नगरवासियों पर प्रशासन के इस अपील का कोई असर नहीं देखा गया। दीपों का श्रृंखला तो दूर किसी ने अपने घर पर झालर भी नहीं लगाया था। डीईओ ने एचएम को दिया था झालर लगाने का निर्देश
जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा पदाधिकारी बीरेंद्र नारायण ने पत्र जारी कर सभी एचएम को निर्देश दिया था कि वे बिहार दिवस के मौके पर संबंधित संस्थानों पर झालर लगाकर रोशनी की व्यवस्था करें बावजूद इसके जिला मुख्यालय स्थित अधिकांश विद्यालयों में अंधेरा छाया हुआ था। एचएम का कहना है कि 22 मार्च के रात नौ बजे डीईओ कार्यालय से रोशनी की व्यवस्था करने संबंधी पत्र प्राप्त हुआ। इस हालत में संस्थानों में रोशनी की व्यवस्था करना असंभव था। वहीं डीईओ ने बताया कि पत्र पूर्व में ही जारी कर दिया गया था। गांवों में नहीं किया गया चौपाल का व्यवस्था
जानकारी के अनुसार सभी बीडीओ को निर्देश दिया गया था कि वे अपने प्रखंड के पंचायतों के मुखिया से संपर्क कर उसे विकास संबंधी कार्याें के प्रचार-प्रसार को लेकर गांवों में चौपाल का व्यवस्था करें कितु अधिकांश पंचायतों के गांवों में चौपाल का आयोजन नहीं कराया गया। इससे स्पष्ट है कि बिहार दिवस के मौके पर प्रशासन द्वारा लिए गए प्रस्ताव का शत-प्रतिशत पालन न होना इस बात का सबूत है कि बिहार दिवस मनाने को लेकर न तो प्रशासन ने उत्सुकता दिखाई और न ही आम लोगों ने रूचि ली। यानी बिहार दिवस औपचारिक रूप से मनाया गया।