संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा) : प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में आम के पेड़ों पर मंजर के लगने से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। उम्मीद है कि ओलावृष्टि, तेज हवा व लाही का प्रकोप नहीं हुआ तो इस बार आम की पैदावार अच्छी होगी। किसान पेड़ों पर दवाइयों के छिड़काव करने में जुट गए हैं। प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने बताया कि मंजर निकलते देख सहज रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है की इस बार आम के पेड़ों में फल ज्यादा लगेगी। मालूम हो कि प्रखंड क्षेत्र में विभिन्न किस्म के आम जैसे जर्दालू, गुलाब खास, बंबई, सुरजापुरी, मालदा, कृष्ण भोग, लंगड़ा, सब्जा, आम्रपाली आदि पेड़ों की संख्या बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश किसान अपने खेतों में आम के पेड़ लगाने का शौख रखते हैं। क्षेत्र के ठेकेदार आम के पेड़ों के मंजर देख ही उसे ठेका पर ले लेते हैं। ठेकेदार शुरूआती दौर से ही उसकी देखरेख सहित प्रबंधन में जुट जाते हैं। मंजर निकलते ही दवा व कीटनाशक का प्रयोग कर शुरू से ही उसके बचाव में जुट जाते हैं। ताकि अधिक से अधिक फल लगने से उसे अच्छी आमदनी हो सके। प्रखंड कृषि पदाधिकारी ओमप्रकाश यादव ने आम के पेड़ों के मंजर को झड़ने से बचाने के लिए किसानों को सचेत रहने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि शुरूआती दौर में पेड़ों की समुचित सिचाई के साथ-साथ मंजर लगे तनों के देख-रेख की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए।मंजर अवधि के दौरान वातावरण में न्यूनतम तापमान 15 से 16 डिग्री सेल्सियस व अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस तक अनुकूल माना जाता है। तापमान में सामान्य से अधिक उतार-चढ़ाव से आम के मंजर के सूखने, झड़ने व मधुआ बीमारी से ग्रसित होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में किसानों को विशेष सतर्क रहने की जरूरत है। सहायक तकनीकी प्रबंधक गिरीश नंदन ने बताया कि किसान को अपने बगीचे में 15 दिनों पर सिचाई करनी चाहिए। वहीं तापमान 36 डिग्री के आसपास होने पर प्रत्येक सप्ताह सिचाई करनी चाहिए। इससे अधिकांश टिकोले के बचने के अलावा बाद में फल के फटने का खतरा कम रहता है। आम का मंजर बचाने के लिए किसान कापर आक्सीक्लाएड अथवा सल्फर का छिड़काव कर सकते हैं। मधुआ रोग से बचाव के लिए टीनिडा या एसीफैट का छिड़काव कर सकते हैं। मंजर में सरसों दाना के बराबर फल आने पर पेलोनोफिक्स एक एमएल दवा पांच लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करनी चाहिए।