संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा) : विकास के इस दौर में सभी गांव व टोले को पक्की सड़क से जोड़ने का दावा सरकार लगातार कर रही है। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा से कुरसंडी पंचायत की लगभग सभी ग्रामीण सड़कें जर्जर अवस्था में है। सड़कों के जिर्णोद्धार के लिए कहीं से भी कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। लेकिन पंचायत क्षेत्र के सभी सड़कों पर बने जगह-जगह गड्ढे में हर साल ईट के टूकड़े आदि गिराकर लाखों रुपए लूट खसोट करने का सिलसिला साल-दर-साल जारी है।
मालूम हो कि कुरसंडी पंचायत के बाला टोल निवासी नरेंद्र नारायण यादव पिछले 30 वर्षों से लगातार आलमनगर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। इतना ही नहीं इन 30 वर्षों के दौरान तीन-तीन बार कैबिनेट मंत्री का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। बीते पंचवर्षीय में 2016 से इस पंचायत के मुखिया उनके सगे भतीजा रजनीश कुमार उर्फ बबलू यादव थे। जिन्हें इस बार करारी हार का सामना करना पड़ा है। कुरसंडी पंचायत स्थानीय विधायक सह पूर्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव का गृह पंचायत होने के बावजूद उक्त पंचायत विकास के हर मामले में अब तक पिछड़ा है। यहां सड़क, स्वास्थ्य, बिजली, शिक्षा, नल-जल, मनरेगा आदि योजनाओं का बुरा हाल है। यहां हर क्षेत्र में विकास कोसों दूर है। इन सड़कों पर होती है परेशानी
आलमनगर के मधैली एनएच 106 से बलिया, बालाटोल, रौता होते हुए बथनाहा तक। बथनाहा से कुरसंडी एनएच 106 तक। कड़ामा यूवीके कालेज एनएच 106 से बासुदेवपुर, बघवा दियारा,गणेशपुर दियारा,डुमरैल होते हुए पुरैनी तक। बाड़ाटेनी एनएच 106 से लश्करी, बालाटोल होते हुए दुहबी-सुहबी एसएच 58 तक जाने वाली पंचायत क्षेत्र की सभी मुख्य सड़कें काफी जर्जर है। क्या कह रहे हैं ग्रामीण
ग्रामीण रामजी यादव, अशोक प्रसाद, नंदकिशोर मेहता, विनय मेहता, पंकज यादव, लड्डू यादव, रमेश कुमार, राजाराम मेहता, पिकेश कुमार, मनीष कुशवाहा आदि का कहना हैं कि पंचायत क्षेत्र की सभी सड़कें जर्जर व बदहाल है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। हर चुनाव में खादी वाले आते हैं और सपना दिखाकर चले जाते हैं। कड़ामा से बासुदेवपुर, डुमरैल होते हुए पुरैनी तक जाने वाली सड़क के जर्जर रहने के कारण आमलोगों को आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। परेशानी तब बढ़ जाती है जब आकस्मिक मौके पर किसी बीमार या प्रसव पीड़ा से परेशान किसी महिला को चार चक्का वाहन से प्रखंड मुख्यालय सहित जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल या मेडिकल कालेज ले जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में विकट समस्या खड़ी हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि इन सभी महत्वपूर्ण सड़क के किनारे पंचायत सरकार भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, विद्यालय के साथ अन्य जरूरी काम से लोगों की आवाजाही लगी रहती है।