संवाद सूत्र, हलसी (लखीसराय) : खरीफ फसल की कटाई के बाद किसान इस समय रबी फसल की खेती कर रहे हैं। वर्तमान समय व बदलते मौसम में रबी फसल की बोआई विलंब से हुई है। इससे किसानों को बेमौसम परेशानी हो रही है। किसान इस मौसम में अपने खेत में चना, गेहूं, राई, जई, मक्का आदि की खेती कर सकते हैं। फसल बोआई के दौरान किसानों को आवश्यक खाद और पानी का ख्याल रखना होगा। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी प्रधान सह पौधा प्रजनन वैज्ञानिक डा. सुधीर चंद्र चौधरी ने अनुसार वर्तमान में किसान अपने खेतों में गेहूं के विभिन्न प्रभेद की फसल की बुआई कर सकते हैं। सबौर श्रेष्ठ, एचआइ 1563, पीबीडब्लू 373, डीबीडब्लू 14, डीबीडब्लू 187, लोक-1 प्रभेद की बोआई कर सकते हैं। बोआई के समय नेत्रजन की आधी मात्रा एवं स्फुर तथा पोटाश की पूरी मात्रा अर्थात 87 किलोग्राम डीएपी, 96 किलोग्राम यूरिया एवं 33 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर म्यूरेर्ट आफ पोटाश अंतिम जोताई के समय इस्तेमाल करें। शेष आधी नेत्रजन पौधा उगने अर्थात प्रथम सिचाई पर 130 किलोग्राम यूरिया देने की आवश्यकता है। इसी प्रकार गेहूं के अलावा चना की फसल बोआई कर सकते हैं। पिछात चना में आरभीजी-202 एवं 303 की बोआई प्रति हेक्टेयर 100 किलोग्राम डीएपी के साथ करें। राई प्रभेद राजेंद्र सुफल्म, हाईब्रीड मक्का, बाहुवली की खेती कर सकते हैं। फसल की बोआई के पूर्व बीज को उपचारित अवश्य करें, ताकि शतप्रतिशत पौधा उग सकें। ---
किसान करें सावधानी
पछुआ हवा चलने की स्थिति में फसल बोआई के बाद बीज सूखने की संभावनाएं होती है। इसलिए पांच-छह दिन बाद खेतों की हल्की सिचाई करें ताकि बोआई किए गए बीज के सही तरीके से अंकुर के पश्चात उग (जनमेशन) हो सके। ----
रोग की संभावनाएं
चना की फसल में फली छेदक बीमारी होने की संभावनाएं हैं। इस रोग की रोकथाम के लिए एनपीभी 300 एमएल प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें। उसके एक सप्ताह के बाद इमामेकटिन वेजोएट 100 एमएल प्रति हेक्टेयर की छिड़काव करें। इसी तरह मसूर की फसल में फफूंद के आक्रमण से बचाव के लिए कार्बनडाजीम प्लस मैकोजेब दो लीटर 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर 400 लीटर पानी में मिलाकर करने से बीमारी कम होती है। डा. निशांत प्रकाश, पौधा रोग विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र हलसी।