संवाद सूत्र, सिंहेश्वर (मधेपुरा) : बिहार में सबसे पहले सिंहेश्वर मंदिर न्यास समिति की भूमि का पैमाइस कर घेराबंदी होगी। यहां एक महीने के अंदर न्यास की भूमि पर सरकारी पीलर लगेगा। फिर इसे जीपीएस से जोड़ा जाएगा। उक्त बातें बिहार सरकार के गन्ना व विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने सिंहेश्वर मंदिर परिसर स्थित नियंत्रण कक्ष में कही। उन्होंने कहा कि कोसी के मधेपुरा, सहरसा व सुपौल जिले में मठ मंदिर की पांच हजार एकड़ जमीन की पैमाइस कर सरकारी पीलर लगाने का निर्देश दिया गया है। वहीं मंत्री ने अधिकारियों संग समीक्षा के बाद एक महीने में कार्य पूरा करने का दिया सख्त निर्देश दिया। समीक्षा के दौरान मंत्री ने कहा कि न्यास से जुड़ी चिह्नित भूमि का सीमांकन करें। इस कार्य में लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी। विधि विभाग के मंत्री ने कहा कि सरकारी भूमि तीन प्रकार की होती है। एक जो राष्ट्रपति के नाम निबंधित जमीन है, दूसरा राज्यपाल के नाम से निबंधित जमीन और तीसरा मंदिर-मठ के नाम से निबंधित जमीन है। यह तीन प्रकार की भूमि सरकारी संपत्ति है। इसे न तो कोई व्यक्ति खरीद सकता है और न ही बेच सकता है। यह आमजन की सम्पत्ति है इसका अतिक्रमण भी कानूनन अपराध है। उन्होंने निर्देश दिया कि निबंधित और अनिबंधित धार्मिक न्यास की परिसम्पत्ति की सूची बना कर अलग-अलग पंजी संधारित करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि धार्मिक न्यास की सभी परिसम्पत्ति का मंदिर की जिस जमीन की जमाबंदी नहीं हुई है। उसकी जमाबंदी करने की कार्रवाई करें। सिंहेश्वर न्यास की भूमि का सर्वे कर पोर्टल पर किया जाएगा अपडेट
मंत्री ने कहा कि धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन 1950 में हुआ था। न्यास के अधीन हमारे पूर्वजों ने अपनी संपत्ति को अपने इष्टदेव के नाम हजारो हजार एकड़ की भूमि किया हुआ है। लेकिन इस भूमि का कोई लिखित लेखा जोखा सरकार के पास नहीं है। सिंहेश्वर मंदिर की न्यास भूमि का सर्वे कर उसे पोर्टल पर अपडेट किया जाएगा। इष्टदेव के नाम पर किए गए भूमि का नाम भी इस सर्वे में अंकित किया जाना है। इसके लिए जिले में एक नोडल पदाधिकारी द्वारा एक महीने के अंदर ऐसे सभी भूमि का चिन्हित किया जाना है। मंदिर की भूमि को चिन्हित कर ये दर्शाना है कि उस भूमि की वर्तमान स्थिति, भूमि पर अतिक्रमण, वाद का मामला, इत्यादि विषयों को निर्धारित कर उन भूमियों पोर्टल मे अंकित करना है। उन्होंने बताया कि न्यास की जमीन को चिन्हित कर जहां जमीन अतिक्रमण का शिकार है वहां उसे अतिक्रमन मुक्त करवाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार ने शुरू की कार्रवाई
मौके पर मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सिविल वाद संख्या-40050/ 2021 में दिए गए निर्णय की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार ने कार्रवाई शुरू की है। न्यायालय के आदेश में है कि मंदिर, मठ, कबीर मठ की संपत्ति भगवान या ईष्ट देव का नाम आनरशिप में लिखा जाए। सेवायत या पुजारी का नाम अभियुक्ति कालम में लिखा जाय। बताया कि मंदिर, मठ की जमीन का कोई अतिक्रमण करता है, तो बिहार हिदू धार्मिक न्यास अधिनियम 1950 में ट्रिब्यूनल अपील करने का प्रावधान है।
मंत्री ने कहा कि मठ-मंदिर की बेची गई भूमि का दाखिल-खारिज किसी हाल में नहीं किया जाएगा। वहीं बताया गया कि जब तक सिंहेश्वर मंदिर न्यास की भूमि को लोक भूमि की श्रेणी में नहीं शामिल किया जाता है, तब तक अतिक्रमण वाद की कार्रवाई मुश्किल है।