स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में की जाएगी ग्रेडिग



संवाद सूत्र, मधेपुरा : जिले के 1581 स्कूल स्वच्छता के पैमाने पर खरा उतरने के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगे। इसको लेकर तैयारी आरंभ हो गई है। बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2021 के लिए शिक्षा विभाग के आला अधिकारी समेत संभाग प्रभारी पटना में आयोजित कार्यशाला में शामिल हो रहे हैं। मालूम हो कि शिक्षा मंत्री ने बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना को लांच किया था तभी नवंबर-दिसंबर में स्कूलों द्वारा दावेदारी पेश करने का समय निर्धारित किया गया। इसके पूर्व सभी 1581 सरकारी स्कूलों को साफ-सफाई के तय मानकों पर अपनी तैयारी पुख्ता करनी होगी। स्कूलों के बीच पहली बार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के लिए आपसी भिड़ंत होगी। स्कूल पहले स्वमूल्यांकन कर आनलाइन अपने प्वाइंट भरेंगे, फिर विभाग द्वारा तय कमेटी उसका मूल्यांकन करेगी। कुल 100 अंक के सात इंडिकेटर पर यह पुरस्कार तय किया जाएगा। इसमें विद्यालय में सुरक्षित व पर्याप्त जल की आपूर्ति, छात्र-छात्रा के लिए क्रियाशील अलग-अलग शौचालय, साबुन से हाथ धुलाई। वाश सुविधाओं का परिचालन, स्थायी व्यवहार परिवर्तन के लिए संवाद, समय-समय पर क्षमताव‌र्द्धन कार्यक्रम और सामुदायिक स्वामित्व व सहयोगी तंत्र शामिल है। स्कूलों की होगी ग्रेडिग संभाग प्रभारी अरूण कुमार ने बताया कि विद्यालयों की ए, बी और सी में ग्रेडिग होगी। जबकि तय मानकों पर उपलब्धि के आधार पर एक से लेकर पांच स्टार तक की रेटिग दी जाएगी। प्रखंड स्तर पर 10, जिला स्तर पर आठ विद्यालय पुरस्कृत होंगे। राज्यस्तर पर 60 उत्कृष्ट विद्यालयों को पुरस्कार स्वरूप दस-दस हजार, जबकि तीन सर्वश्रेष्ठ स्कूलों को 50-50 हजार का पुरस्कार मिलेगा।

शत प्रतिशत विद्यालयों का रजिस्ट्रेशन कराने का लक्ष्य संभाग प्रभारी ने बताया कि बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना में शत-प्रतिशत सरकारी विद्यालयों का पंजीकरण होगा। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार योजना के अंतर्गत विद्यालयों में विशेष जल, स्वच्छता व साफ-सफाई मानदंड प्रणाली नाम से पोर्टल लांच किया गया है। इस अभियान में सभी वरीय पदाधिकारी से लेकर बीईओ स्तर तक के पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि स्वच्छता अभियान में शत-प्रतिशत विद्यालय शामिल हो। शिक्षकों और विद्यार्थियों को हाथ धोने के लिए किया जाएगा जागरूक प्रत्येक विद्यालय में साफ-सफाई और स्वच्छता का आकलन के साथ-साथ शिक्षकों और विद्यार्थियों के हाथ धोने और स्वच्छता के प्रति जागरूकता को भी देखा जाएगा। इसमें यूनिसेफ की टीम भी मदद करेगी। ग्रामीण इलाकों में संचालित सरकारी विद्यालय को नल-जल योजना से जोड़ने का निर्देश दिया गया है। विद्यालयों में स्वच्छता अभियान की शुरुआत शिक्षकों से शुरू हुई है, ताकि शिक्षकों का अनुसरण बच्चे करें। यदि शिक्षक सफाई का ध्यान रखेंगे और हाथ धोएंगे तो बच्चे उनका अनुसरण करेंगे। साथ ही बच्चों के जरिए उनके परिवार तक भी यह संदेश पहुंच सकेगा। कोविड काल में सफाई का महत्व और भी बढ़ गया है। सरकार इसे ध्यान में रखकर योजना बनाई गई है। इस अभियान से स्वच्छता के प्रति छात्रों में काफी जागरूकता आएगी। छात्र इससे प्रेरित होकर समाज को भी जागरूक करेंगे। वीरेंद्र नारायण डीईओ, मधेपुरा

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