स्टार कास्ट – राजकुमार राव, कृति सेनन, परेश रावल, अपारशक्ति खुराना, रत्ना पाठक शाह, मनु ऋषि चड्ढा, प्राची शाह पांड्या निर्देशक – अभिषेक जैन कहां देख सकते हैं – डिज्नी प्लस हॉटस्टार रेटिंग – 3.5
मुझे फैमिली कंप्लीट करने के लिए दो बच्चे नहींं, दो मां-बाप चाहिए… इस एक डायलॉग से आप लोग समझ ही गए होंगे कि आखिर फिल्म की कहानी क्या होने वाली है. ये डायलॉग फिल्म हम दो हमारे दो का ही है, जिसे राजकुमार राव का कैरेक्टर बाल प्रेमी उर्फ ध्रुव बोलता है. राजकुमार राव और कृति सेनन की ये फिल्म उन कहानियों से अलग नहीं है, जिनमें नकली मां-बाप को पेश कर कॉमेडी का तड़का लगता है.
‘हम दो हमारे दो’ एक नॉर्मल फिल्म है, लेकिन माता-पिता के रूप में अलग-अलग प्रेमियों के अपने प्यार को पाने के लिए उनके विचार कहानी में ताजगी लाते हैं. कहानी इस बात के इर्द-गिर्द घूमती है कि कैसे ध्रुव (राजकुमार राव) ने दीप्ति कश्यप (रत्ना पाठक) और पुरुषोत्तम (परेश रावल) को अपना माता-पिता बनाया, ताकि वह अनन्या (कृति सनोन) और उसके परिवार को दिल जीत सकें.
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी शुरू होती है, पुरुषोत्तम के उस ढाबे से, जहां पर ध्रुव बचपन में काम करता है. इस दौरान उसे दिप्ती मिलती हैं, जो उसे अपना नाम बाल प्रेमी से बदलकर कुछ और रखने की सलाह देती हैं. इस दौरान छिपी-छिपी नजरों से पुरुषोत्तम, दिप्ती को देखता है, जिससे पता चलता है कि वह उसे चाहता है, पर शायद खुद को कुछ और मंजूर था और दिप्ती की शादी किसी और से हो गई होती है. कहानी आगे बढ़ती है अब ध्रुव एक एंटरप्रेन्योर बन गया है. अपने ऐप के लॉन्चिंग इवेंट पर उसकी मुलाकात अनन्या मेहरा से होती है.
ध्रुव बहुत ही मेहतन करके अनन्या से बातचीत करने की कोशिश करता है, लेकिन इस जद्दोजहद में वह एक अजीब हरकत कर बैठता है. वहीं, अनन्या को लगता है कि ध्रुव खडूस है. हालांकि, कई मुलाकातें करने के बाद दोनों को एक दूसरे से प्यार हो जाता है और ध्रुव, अनन्या को शादी के लिए प्रपोज कर देता है. लेकिन अब यहां है कहानी में एक ट्विस्ट. अनन्या की ख्वाहिश है कि वह एक ऐसे लड़के से शादी करे, जिसकी प्यारी सी फैमिली हो और उसके पास एक डॉग भी हो. ध्रुव किसी भी हालत में अनन्या को खोना नहीं चाहता, इसलिए वह पुरुषोत्तम और दिप्ती के रूप में अपने नकली मां-बाप को ले आता है.
पुरुषोत्तम और दिप्ती कॉलेज के लव बर्ड्स होते हैं, लेकिन किन्ही कारणवश दोनों की शादी नहीं हो पाती. फिल्म की बाकी कहानी में ध्रुव ये कोशिश करने में गा रहता है कि कहीं पुरुषोत्तम के दिप्ती के लिए उठे एहसास के कारण उसका प्लान न चौपट हो जाए और वह अनन्या को न खो दे. आखिर में क्या होता है, अगर आपको ये जानने की इच्छा है, तो इसके लिए तो आपको इसे देखना होगा, क्योंकि हंसी के ठहाके लगाने से आप खुद को रोक नहीं पाएंगे.
फिल्म में क्या अच्छा है और क्या नहीं?
फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत ही कॉमेडी भर है. इस हंसी के लेवल को बहुत ही ऊपर लेकर जाता है. वहीं, फिल्म का दूसरा हाफ इसको थोड़ी लंबा खींचता है, क्योंकि लास्ट का एक घंटा बहुत ही ड्रामा और इमोशंस से भरपूर है. सेकंड हाफ में फिल्म से कॉमेडी भी गायब नजर आती है. सेकंड हाफ में एक हाई पॉइंट है, जब रत्ना पाठक राजकुमार राव के साथ बातचीत करते हुए अपने बेटे को याद करते हुए टूट जाती हैं. निर्देशक और उनके राइटर्स की टीम मुख्य कलाकारों को इतना समय नहीं देती कि दर्शक इमोशन और दिलों में आए बदलाव से उन्हें कनेक्ट करा सके.
वहीं, कलाकारों के अभिनय की बात करें तो फिल्म में एक से बढ़कर एक मंझे हुए कलाकार हैं. राजकुमार राव और कृति सेनन की कैमिस्ट्री काफी अच्छी लगी है. वहीं, उन्हें कड़ी टक्कर देते हुए परेश रावल और रत्ना पाठक शाह ने जिस तरह से अपनी भावनाओं को स्क्रीन पर पेश किया है, उससे आप उनकी जर्नी को महसूस कर सकते हैं.
ये एक कलाकार की खासियत होती है कि वह स्क्रीन पर ऐसा अभिनय करे कि दर्शक उससे खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर सकें और फिल्म का हर कलाकार इस पर खरा उतरा है. फिल्म की कहानी भले ही पुरानी सी लगती है, लेकिन कलाकारों ने अपने पावर पैक परफॉर्मेंस से इसमें जान डाली है. इसके अलावा मनु ऋषि चड्ढा, प्राची शाह पांड्या और अपारशक्ति खुराना सहित बाकी कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है.
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