एक सेकंड पहले तो मैं ये बता दूँ छप्पन इंच के सीने पर ऑलरेडी कॉपीराइट है किसी का. ऐसा सीना किसी फिल्म के सीन में फिट नहीं हो सकता.. मैं देश के बाकी सोशल मीडिया सेनानियों की तरह ‘ऑफेंडेड’ हूँ. तो सबसे पहले तो मैं डायलॉग को बॉयकॉट करती हूँ. बर्खास्त. बैन. जॉन अब्राहम की आने वाली फिल्म ‘सत्यमेव जयते टू’ का ट्रेलर आ गया है दोस्तों. कुछ कहे बिना रहा नहीं जाता, अब इतना सहा नहीं जाता.
“पुलिस चाहती है मेरी कलाई का नाप, हथकड़ी के लिए. जल्लाद चाहता है मेरे गले का नाप, फांसी के लिए. और बेईमान डरता है सुनके मेरे जिगरे का नाप, छप्पन इंच.”
इस डायलॉग से लगता है बेसिकली फिल्म के ट्रैलर में जॉन का सारा ध्यान इसी बात पर है के साइज़ मैटर्स. ट्रेलर नहीं टेलर की दुकान ज़्यादा लग रही है मुझे. नेता जी बने भी दिख रहे हैं जॉन. एक हाथ मात्र से नारियल फोड़ दे रहे हैं, टेबल तोड़ दे रहे हैं. जॉन नहीं बाबूराव ज़्यादा है, खोपड़ी फोड़ साले का. दिव्या खोसला कुमार भी नज़र आ रही हैं, बहुत सुन्दर. लेकिन सीधे, प्लेन फेस के साथ डायलॉग बोल रही हैं. इतना सीधा तो मध्य प्रदेश की सड़कों को अमरीका की सड़कों से कम्पेयर करते हुए शिवराज जी ने भी नहीं कहा था. इससे ज़्यादा एक्सप्रेशन तो मेरे चेहरे पर होते थे, जब मुझे एनुअल फंक्शन में पेड़ बना देते थे.
और हर फिल्म में मुजरिम, विलन कोई भी हो, जैसे हर फिल्म में इंदिरा गाँधी के किरदार के सर पर सिल्वर लाइनिंग कॉन्स्टन्ट होती हैं. वैसे ही हर फिल्म में कॉन्स्टन्ट होता है ये डायलॉग.
‘इस मुजरिम को पकड़ने के लिए हमें हमारे बेस्ट ऑफिसर की ज़रुरत है.’
दिखाते बेस्ट नहीं ऐसा ऑफिसर है, जो डायलॉग बाज़ी, डांस और हीरोइन से मटके खरीदते रहते हैं. भाई बेस्ट अफसर गाड़ी पलटवाते हैं. ठाएं ठाएं करके ही गुंडों को भगा देते हैं. ट्रेलर में जॉन अति ज़रूरी शर्टलेस सीन में कहते हैं दो कौड़ी की जान लेने छप्पन इंच का सीना नहीं, छप्पन किलो का हथौड़ा चाहिए. थॉर भाईसाहब वांट्स टू नो योर लोकेशन सर. हैंडपंप और हाथ के रेफरेंस से हम अब तक उबर नहीं पाए थे. आप बक्श दीजिये. सबसे एपिक डायलॉग तो आगे है जिसके आगे सब फेल है.
बॉबी देओल का डायलॉग है न, “जिसका ज़ोर कम होता है वही कमज़ोर होता है.”
इस डायलॉग के आगे बॉबी वाला भी ऑस्कर विनिंग वाला डायलॉग लगता है. खैर डायलॉग है,
“गुनहगार को ऐसी मौत मारूंगा कि अगले जनम में माँ की कोख से, क्या बाप की तोप से भी निकलने में डरेगा.”
डायलॉग सेंसलेस नहीं है दोस्तों. ब्रेनलेस है. इससे अच्छा तो सारा अली खान राइम कर लेती हैं. इससे अच्छे लिरिक्स सॉरी टोनी ही लिख लेते हैं. ट्रेलर को देख कर ही लग रहा है राइटर के पैसे खा लिए थे. पुराने ज़माने में ही सही था यार. बिग बी बढ़िया बाप बेटे पोते सबका रोल करते थे. कम से कम देखने में मज़ा तो आता था. इस फिल्म के ट्रेलर में जॉन अब्राहम का डबल रोल देख कर टेक्नोलॉजी को यहाँ तक पहुंचाने वालों की कब्र में अर्थक्वेक आ गया होगा. कि इसके लिए करे थे क्या ऐसे आविष्कार? क्या है CGI बनाने वाले की मेहनत का हासिल?
जॉन अब्राहम अगले ही सीन में किसान बन गए हैं. वॉटर गन से भीगते नहीं, खेत जोतने वाले किसान बने हैं वो. रियल में कुछ एक्टर्स की तरह जॉन फिल्म में भी सेफ खेल रहे हैं. खैर इस फिल्म ट्रेलर में जितनी मात्रा में बुरे डायलॉग हैं, उतनी मात्रा में तो टिकटोक पर Cringe भी नहीं मिला था. अगला डायलॉग है जॉन का, ‘मेरा फंडा दांडी नहीं, मेरा फंडा डंडा है, भगत सिंह मेरा बंदा है’. उन्होंने ऐसा बेहूदा वाइलेंस करने को तो नहीं ही कहा था. मनोज मुन्तशिर गलत नहीं कहते कि इतिहास गलत पढ़ाया है. वो बात अलग है टेक्स्टबुक से ज़्यादा गलत फिल्मों में दिखाया जाता है. अब इतने इंटेंस टॉपिक पर जहाँ मैंने सोचा कुछ और बुरे डायलॉग आएंगे, वहीं नोरा फ़तेही आ गईं. एक्शन मूवी में इतना ज़रूरी आजकल एक्शन नहीं लगता, मुझे जितना ज़रूरी नोरा का गाना लगने लगा है.
ताकत का ये प्रदर्शन हमें असली अखाड़े में नहीं दिखता, जितना जॉन ने किया है. बन्दे को बाइक समेत गोदी में ऐसे उठा लेते हैं, जैसे मीमर्स ने देश के मुद्दों पर बातचीत करने की ज़िम्मेदारियाँ उठा रखी हैं. बस उनका मूछों से ट्रक खींचना ही बचा था. वहां डायरेक्टर ने कहा होगा ‘रुक जाओ भाई की अंतिम आ रही है. थोड़ा उनके लिए भी छोड़ देते हैं’.
ट्रेलर के नीचे एक भाई ने लिखा बस एक अरिजीत का गाना और होता. हाँ खिचड़ी में मुझे वैसे भी कुछ तो मिसिंग लग ही रहा था. फिल्म में जॉन के रोल्स जितने काम्प्लेक्स हैं, उतना काम्प्लेक्स काम तो अपनी फिल्मों में क्रिस्टोफर नोलन नहीं करते. और माशाल्लाह डायलॉग ऐसे हैं कि एनसीबी को एक बार डायलॉग लिखने वाले के घर की तलाशी ले लेनी चाहिए. होश में ऐसे डायलॉग लिखे जाने मुमकिन नहीं हैं. जॉन के रोल्स ने बी बी की वाइन्स में भुवन के किरदारों को मात दे दी. मैं सोच रही हूँ फिल्म के डायरेक्टर मिलाप ज़वेरी पर ऐसा कौनसा कर्ज़ा है जॉन का, जो वो ऐसे चुकता कर रहे हैं. और ये भी कि आखिर जॉन जैसे कमाल आर्टिस्ट ने ये फिल्म क्यों की? ऐसी क्या मजबूरी रही होगी? वैसे मिलाप ज़वेरी ने देश हित में ही ये ट्रेलर रिलीज़ किया है फॉर श्योर. पाकिस्तान से हार के गम से उबरने के लिए कुछ ऐसा ही चाहिए था.
मैं कहानी बता के अपना टाइम वेस्ट नहीं कर सकती. ट्रेलर देखकर लोगों ने तो थानोस भाई को याद कर लिया. ‘भाई तू मेरी जायदाद ले ले, मुझसे मेरे चिप लगे हुए दो हज़ार के नोट ले ले, नेटफ्लिक्स, प्राइम पासवर्ड ले ले, बस वापस चुटकी बजा दे’. लगता है ये फिल्म सलमान खान के लिए बनी है. 25 नवम्बर को ‘सत्यमेव जयते 2’ आएगी और 26 को सलमान की ‘अंतिम’. कमपटीसन ही इतना बुरा दे दिया है कि भाई की पिक्चर ने चल ही जाना है.
PS – दुःख की बात है देशभक्ति को तो बस फिल्म बेचने के लिए आजकल प्रोप बना दिया गया है.