सुपरस्टार रजनीकांत (Rajinikanth) आज अपने एक्शन और स्टाइल की वजह से पूरी दुनिया में फैंस के दिलों पर राज करते हैं. उनके सिनेमा में दिए योगदान के चलते ही उन्हें नेशनल फिल्म अवॉर्ड में सिनेमा जगत के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार (Dada Saheb Phalke Awards) से नवाजा गया. आज वो भले ही पूरी दुनिया में पहचान बना चुके हैं. लेकिन इस बात को बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि 4 साल की उम्र में ही उनके सर से मां का साया उठ गया था और जब उन्होंने होश संभाला को बस में कंडक्टर की नौकरी की, जहां पर उनके ड्राइवर दोस्त ने एक्टर बनने की सलाह दी थी. आइए जानते हैं उनके फर्श से अर्श तक पहुंचने की कहानी…
रजनीकांत (Rajinikanth Struggling life) का जन्म 12 दिसंबर, 1950 को एक मराठी परिवार में हुआ था. वो बहुत ही संपन्न परिवार से नहीं थे. उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है. वो जीजाबाई और रामोजी राव की सबसे छोटी संतान थे. एक्टर ने अपनी पढ़ाई बेंगलुरु में की थी. इस दौरान उन्होंने महज 4 साल की उम्र में ही अपनी मां को खो दिया था. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण उन्होंने वो हर काम किया, जिससे चार पैसे आ सके और घर का चूल्हा जल सके. वो कुली से लेकर बस कंडक्टर तक की नौकरी कर चुके हैं. बस में नौकरी करने के दौरान वो अपने स्टाइल और अंदाज के लिए काफी पॉपुलर थे.
बस में कंडक्टरी कर रहे रजनीकांत के एक्टर बनने का सपना पूरा करने में उनके बस ड्राइवर दोस्त राज बहादुर ने मदद की. उन्होंने ही एक्टर को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट (Madras Film Institute) में एडमिशन लेने के लिए प्रेरित किया. क्योंकि, थलाइवा के लिए ये सब कर पाना आसान नहीं था, उस वक्त उन्हें जिस सपोर्ट की जरूरत थी वो राज बहादुर से मिला. एक्टिंग सीखने के दौरान ही एक्टर ने तमिल भाषा को भी सीखा. इसी दौरान उनकी मुलाकात डायरेक्टर के बालचंद्र (K Balchandra) से हुआ, जिन्होंने उन्हें पहली फिल्म (Rajinikanth first Film) ‘अपूर्वा रागनगाल’ में काम करने का मौका दिया. इसमें उनके अपोजिट कमल हासन और श्रीविद्या भी थीं. हालांकि, इसमें एक्टर का छोटा नेगेटिव रोल था. करियर के शुरुआत में उन्हें कुछ समय तक ऐसे ही रोल मिले थे. इसके बाद उन्होंने अपने नेगेटिव रोल की धुरी को तोड़ा और फिल्म ‘भुवन ओरु केल्विकुरी’ में बतौर लीड हीरो नजर आए. इसमें मुथुरमम के साथ उनकी जोड़ी दर्शकों को काफी पसंद आई.
अमिताभ बच्चन की फिल्म के रीमेक ने बनाया स्टार
रजनीकांत की किस्मत (Rajinikanth turning Point) तब पलटी जब उन्होंने अमिताभ बच्चन (Amitabh bachchan) की फिल्म ‘डॉन’ (Don) के रीमेक में काम किया. उस मूवी का नाम ‘बिल्ला’ (Billa) था, जिसने बॉक्स ऑफिस पर धमाल ही मचा दिया था. तमिलनाडु सरकार की ओर से 1982 में उन्हें फिल्म ‘मुंदरू मूगम’ के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया था. एक्टर को सुपरस्टार बनाने वाली फिल्म का नाम ‘बाशा’ था, जो कि 1995 में रिलीज हुई थी. इस मूवी ने बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड्स तोड़ दिए थे. इतना ही नहीं एक्टर ने तमिल फिल्मों को इंटरनेशनल स्टेज तक पहुंचाया है. उनकी फिल्म ‘मुथू’ जापान में रिलीज की गई थी. ये पहली तमिल मूवी थी, जो जापान में रिलीज हुई थी. वहीं, ‘चंद्रमुखी’ तुर्की और जर्मन तो ‘शिवाजी’ यूके और साउथ अफ्रीका में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाया था.
बता दें कि फिल्मों में आने से पहले रजनीकांत ने अपने एक्टिंग करियर (Rajinikanth Career) की शुरुआत कन्नड़ में नाटकों से की थी. उन्होंने दुर्योधन की भूमिका निभाई थी, जिससे वो काफी पॉपुलर हुए थे. इतना ही नहीं एक्टर ने अपने फिल्मी करियर में 10 सालों में 100 फिल्में कर ली थी. उन्होंने तमिल, हिंदी के अलावा मलयालम, कन्नड़ और तेलुगू के साथ-साथ बांग्ला में भी काम किया था. उनकी बांग्ला मूवी का नाम ‘भाग्य देबता’ था.