शूजित सरकार और विक्की कौशल के मास्टरपीस 'सरदार उधम' को ऑस्कर नॉमिनेशन में भेजने से किया गया रिजेक्ट, जानें वजह

मुंबई। एक्टर विक्की कौशल और निर्देशक शूजित सरकार की जोड़ी ने हाल ही में दर्शकों को एक ऐसा मास्टरपीस दिया, जो सालों साल दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाए रखेगा। अपनी दमदार एक्टिंग स्किल से विक्की कौशल ने शूजीत के निर्देशन में पूरी तरह से जान फूंक दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं इनकी हालिया रिलीज फिल्म 'सरदार उधम' की। ये फिल्म एक सत्य और ऐतिहासिक घटना जलियांवाला बाग नरसंहार पर आधारित जो, भारतीय इतिहास में काले दिन की तरह गिने जाने वाले दिनों में से एक है।


इस फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया और काफी सराहना भी मिली। फिल्म में सिनेमाटोग्राफी से लेकर, एक्टिंग, निर्देशन, कॉस्ट्यूम और सेट सबकुछ रियल लग रहे थे, जिसने फैंस को खूब आकर्षित किया। हर तरफ से सराहने मिलने के बाद ये खबर आई कि ये फिल्म ऑस्कर 2022 के लिए नॉमिनेशन में भेजे जाने वाले 14 फिल्मों में से एक होगी। इस खबर से जितने मेकर्स उत्साहित थे, उतने ही फैंस भी। लेकिन अब उनका दिल तोड़ने वाली खबर आई है। इस फिल्म को ऑस्कर 2022 के लिए नॉमिनेशन वाली 14 फिल्मों की लिस्ट से बाहर कर दिया गया है।

ऑस्कर अवॉर्ड्स नॉमिनेशन में फिल्मों को भेजने से पहले एक जूरी मेंबर्स की टीम बैठती है और वो ये निर्णय लेती है कि इस फिल्म को आगे भेजना है या नहीं। इसी जूरी मेंबर्स की टीम ने ऐतिहासिक घटना पर बने बायोपिक 'सरदार उधम' को रिजेक्ट कर दिया है। ये फैसला लेने वाले जूरी मेंबर इंद्रदीप दासगुप्ता ने अपने निर्णय पर एक टिप्पणी भी दी है। उन्हें लगता है कि ये फिल्म ब्रिटिशर्स के खिलाफ हेटरेड फैलाएगी और ये एक एजेंडा बेस्ड फिल्म है।

एक निजी टेब्लॉयड से बातचीत के दौरान इंद्रदीप ने कहा कि- 'सरदार उधम शानदार सिनेमैटोग्राफी के साथ एक अच्छी तरह से निर्मित उत्पादन है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है। लेकिन यह थोड़ी लंबी है और जलियांवाला बाग की घटना पर आधारित है। ये कहते हुए कि फिल्म अंग्रेजों के प्रति भारत की नफरत को दर्शाती है"।

जूरी सदस्य इंद्रदीप ने आगे कहा कि - 'भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक गुमनाम नायक पर एक भव्य फिल्म बनाने का यह एक ईमानदार प्रयास है। लेकिन इस प्रक्रिया में, यह फिर से अंग्रेजों के प्रति हमारी नफरत को प्रदर्शित करता है। वैश्वीकरण के इस दौर में इस नफरत को थामे रहना उचित नहीं है। इसके विपरीत कूझंगल एक वैश्विक अपील के साथ वास्तव में एक भारतीय फिल्म है। इससे कोई एजेंडा नहीं जुड़ा है। यह सभी दावेदारों में सबसे ईमानदार फिल्म है'।

शूजीति सिरकार द्वारा निर्देशित ये फिल्म भारतीय इतिहास के उन काले दिनों में से एक जलियां वाला बाग नरसंहार पर आधारित है जिसे सालों साल भुलाया नहीं जा सकेगा। इसी वजह से इसे अंग्रेजों के प्रति नफरत पैदा करने का कारण बताकर रिजेक्ट कर दिया गया। वहीं इस फिल्म की जगह जिस दूसरी फिल्म को जगह मिली है वो एक मलयाली फिल्म 'कूझंगल' है। जो 'मानवतावाद' के लिए चुनी गई है। कूझंगल एक युवा लड़के की कहानी है जो अपने 'हिंसक' और 'शराबी' पिता का पीछा करते हुए अपनी मां को वापस पाने के लिए 'दुर्व्यवहार' से बचने के लिए भाग गया था।
ये अपने आप में चकित करने वाला है कि कैसे भारतीय इतिहास के एक अध्याय को जूरी द्वारा 'पर्याप्त भारतीय नहीं' करार दे दिया गया है। निश्चित तौर पर इसमें हिंसा और बदले की भावना दिखाई गई है, मगर फिल्म में इसे बढ़ावा देने जैसा नहीं दिखाया गया है। दूसरी ओर एक अहम बात ये भी कि फिल्म बनने से अंग्रेजों के खिलाफ नफरत की भावना बढ़ेगी ये कहना अपने आप में थोड़ा विरोधाभास है। क्योंकि जलियावाला बाग नरसंहार एक ऐसी घटना है, जो इतिहास के हर पन्ने में दर्ज है और फिल्म में इसे लेकर कोई मनघड़ंत कहानी नहीं बनाई गई है।

जिस जूरी ने इस फिल्म को रिजेक्ट किया अब आपको उसके बारे में भी बताते हैं। इंद्रदीप दासगुप्ता एक भारतीय संगीतकार से निर्देशक बने हैं, जो विभिन्न बंगाली फिल्मों में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। दासगुप्ता अगले साल जन्माष्टमी पर अपनी अगली फिल्म 'बिस्मिल्लाह' रिलीज करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। फिल्म कथित तौर पर एक संगीत परिवार की परंपरा पर ध्यान केंद्रित करेगी और दिखाएगी कि कैसे विदेशी घुसपैठ इसमें गड़बड़ी पैदा करती है।

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