आजकल मोबाइल फोन लोगों की जरूरत ही नहीं, बल्कि आदत बन गया है. छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है और लॉकडाउन के दौरान तो इसका उपयोग पहले से अधिक हो गया है. (phishing links on mobile devices) आज हम अपने हर छोटे-बड़े काम के लिए (Mobile Fraud) स्मार्टफोन पर डिपेंड होते हैं. यहां तक कि अपना खाली समय स्मार्टफोन के साथ ही गुजारते हैं. लेकिन स्मार्टफोन का उपयोग करते समय आपको सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि (Online Fraud) थोड़ी सी लापरवाही की वजह से आप ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार हो सकते हैं. एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि हर 10 में से एक भारतीय मोबाइल यूजर फिशिंग लिंक का इस्तेमाल करता है और ऑनलाइन फ्रॉड को शिकार हो जाता है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत सहित 90 देशों में 500,000 डिवाइस के भीतर फिशिंग लिंक ने को लेकर अध्ययन किया गया. जिससे यह सामने आया कि फिशिंग लिंक का मतलब केवल संदेश प्राप्त करना नहीं है, बल्कि वास्तव में उन पर ना है. फिशिंग एक तरह की सोशल इंजीनियरिंग है जहां अटैकर्स फ्रॉड के लिए मैसेज तैयार करते हैं और जैसे मोबाइल यूजर्स मैसेज पर ते हैं तो अटैकर्स उनके फोन से पर्सनल डाटा चोरी कर लेते हैं.
क्लाउड सिक्योरिटी फर्म रिपोर्ट में बताया गया है कि Wandera (Jamf Company) के मुताबिक फिशिंग लिंक पर ने वाले यूजर्स की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है. इस संख्या में साल दर साल 160 फीसदी की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 93 फीसदी फिशिंग डोमेन्स को एक सिक्योर वेबसाइट पर होस्ट किया जाता है और इसके लिए पैडलॉक URL का इस्तेमाल होता है. रिपोर्ट के अनुसार, आज, 93 प्रतिशत सफल फिशिंग साइट्स अपने धोखेबाज स्वभाव को छिपाने के लिए HTTPS वेरिफिकेशन का उपयोग कर रही हैं. साल 2018 में इसकी संख्या 65 प्रतिशत दर्ज की गई थी. ऐसे में एक आम आदमी के लिए असली और नकली वेबसाइट में अंतर करना बेहद ही मुश्किल हो जाता है और वह फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं. इसजिए स्मार्टफोन का उपयोग करते समय आपको काफी सतर्क रहने की जरूरत है.