शेरशाह और सरदार उधम को पछाड़कर, ये फिल्म गई ऑस्कर की ओर

शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म शेरशाह को हरतरफ से तारीफें ही तारीफें मिली हैं। फिल्म के वॉर सीन्स के अलावा पहली बार कैप्टन विक्रम बत्रा के पर्सनल जीवन और उनकी प्रेम कहानी को दर्शकों के सामने लाया गया, इस एक्सपेरिमेंट को दर्शकों ने हाथों हाथ लिया और फिल्म ओटीटी रिलीज़ के बावजूद ब्लाकबस्टर कहलाई जाने लगी।

वहीं दूसरी ओर शूजित सरकार की मोस्ट अवेटेड हिस्टोरिकल बायोपिक सरदार उधम को भी क्रिटिक्स ने पॉजिटिव रिव्यूज़ दिए थे।

इन दोनों फिल्मों को ऑस्कर में भेजने वाली लिस्ट में रखा गया था। इनके साथ ही पंकज त्रिपाठी की फिल्म 'कागज़' को भी इस लिस्ट में जगह दी गयी थी। 14 फिल्मों की इस लिस्ट में शेरशाह, सरदार उधम, कागज़ और फरहान अख्तर की बॉक्सिंग पर बनी फिल्म तूफ़ान को भी हिन्दी फिल्मों में जगह दी गयी थी। इनके अलावा तमिल की मंडेला, कूज्हांगल और मराठी सिनेमा से आता वेळ ज़ालि, गोदावरी, कारखानीसाँची वाड़ी शामिल थीं। फिल्म ब्रिज, छेलो शो, नयट्टू और लैला और सत गीत क्रमशः असमी, गुजराती, मलयालम और गोजरी भाषा से शामिल थीं।
इनमें से तमिल फिल्म कूज्हांगल को ऑस्कर्स में भेजने के लिए चुना गया है। इस शब्द का हिन्दी में मतलब होता है 'कंकड़' या अंग्रेज़ी में इसे पेब्ल्स कहते हैं। विश्व भर में हुए फिल्म फेस्टिवल्स में इस फिल्म की बहुत तारीफ हुई है। एक सच्ची घटना से प्रेरित इस फिल्म को ऑस्कर के लिए भेजा गया है। फिल्म के डायरेक्टर पीएस विनोथराज की ये पहली फीचर फिल्म है।
ज्ञात हो कि आजतक किसी भी भारतीय फिल्म को ऑस्कर अवार्ड नहीं मिला है।
1958 में महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया और 2002 में आमिर खान और आशुतोष गवारेकर की फिल्म लगान मात्र दो फ़िल्में हैं जिन्हें ऑस्कर नॉमिनेशन मिला है। इसके अलावा डैनी बोयल की एंग्लो-इंडियन फिल्म स्लमडॉग मिलेनियर को ज़रूर ऑस्कर मिला है लेकिन वह भारतीय फिल्म नहीं कहलाती है।

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