भारत सरकार ने सुपरस्टार रजनीकांत को सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा। उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उन्हें ये सम्मान दिया। वेंकैया नायडू ने उन्हें शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया, फिर उन्हें दादा साहब फाल्के अवॉर्ड का सर्टिफिकेट दिया गया। आपको बता दें कि 'दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड' सिनेमा जगत में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता हैं। रजनीकांत ने न सिर्फ टॉलीवुड बल्कि बॉलीवुड में मेहनत के दम पर अपनी पहचान बनाई है। 51वें दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड पाने वाले रजनीकांत के जिंदगी के बारे में आज हम आपको कुछ ऐसी बातें बताएंगे, जो बेहद कम लोग ही जानते होंगे।
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12 दिसंबर 1950 को रजनीकांत का जन्म बेंगलुरू के मराठी परिवार में हुआ था। उनका असली नाम रजनीकांत नहीं बल्कि शिवाजीराव गायकवाड़ है। महज 8 साल की उम्र में उनके सिर से मां का साया उठ गया था। आर्थिक तंगी के कारण रजनीकांत ने कुली, कारपेंटर और कंडक्टर के तौर पर कई सालों तक काम किए, लेकिन इस दौरान उन्होंने अपने अंदर छिपे एक्टर को मरने नहीं दिया। वो कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेते और अपनी एक्टिंग के जादूगिरी से लोगों की भीड़ को इक्ट्ठा करते। दोस्तों के कहने पर रजनीकांत ने कई ऑडिशन्स दिए। तमाम कोशिशों के बाद उन्हें एक विलेन का रोल ऑफर हुआ।
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अपने इस रोल से रजनीकांत ने लोगों के दिलों में अपनी अलग छवि बना ली। उन्होंने बतौर एक्टर साल 1975 में रिलीज हुई तमिल फिल्म 'अपूर्व रागंगल' से की। इस फिल्म में उन्हें कमल हासन के साथ काम करने का मौका मिला। कमल हासन का साथ मिलते ही रजनीकांत ने इंडस्ट्री पर राज करना शुरु कर दिया। रजनीकांत ने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषा में कई सुपरहिट फिल्में की। यही नहीं, उनके बॉलीवुड में भी अपना जादू बिखेरा। रजनीकांत ने श्री देवी, रवीना टंडन, जया प्रदा समेत कई टॉप एक्ट्रेसेस के साथ काम किया। बॉलीवुड में उनकी कई फिल्में आज भी लोगों को काफी पसंद है। जिसमें 'प्रिया', 'गैरकानूनी', 'चालबाज', 'जुल्म की जंजीर' जैसी फिल्में शामिल है।