Death Anniversary: संगीत सम्राट मन्ना डे के गाए सदाबहार गानों ने कर दिया उन्हें अमर, जानें उनके जीवन से जुड़े अनकहे किस्सों को

सुरों के सरताज, शास्त्रीय संगीत सम्राट मन्ना डे संगीत की दुनिया में बहुत सम्मानित स्थान रखते हैं. उनको बॉलीवुड गानों और शास्त्रीय संगीत के तरानों के लिए आज भी याद किया जाता है. मन्ना डे को इस दुनिया को छोड़ कर गए 8 साल हो चुके हैं लेकिन उन्होंने अपने बेहतरीन गानों से अमरत्व प्राप्त कर लिया है. वो आज भी पहले की तरह हर संगीत प्रेमी के प्ले लिस्ट में जीवित हैं. उन्हें सुनकर लगता है कि वो अभी भी हमारे आस-पास ही गा रहे हैं. मन्ना डे संगीत से जुड़े लोगों के लिए खुदा से कम नहीं. बॉलीवुड इंडस्ट्री के संगीत को एक अलग और खास पहचान दिखाई ही साथ ही साथ अपने गायन शैली में शास्त्रीय संगीत के उपयोग से सभी का मन मोह लिया.

50 साल लंबा करियर में चार हजार से अधिक गानें गाए
संगीत सम्राट मन्ना डे (Manna Dey) की मृत्यु 24 अक्टूबर 2013 को बंगलुरू में हुई थी. काफी वक्त से बीमारी से जूझ रहे मन्ना डे ने 94 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा था. उस समय को छाती के संक्रमण से जूझ रहे थे. हालात बिगड़ने पर उन्हें वहीं के एक अस्पताल में।भर्ती कराया गया था. उनके साथ उनकी पुत्री शुमिता देव और दामाद ज्ञानरंजन देव मौजूद थे. मन्ना डे की दो बेटियां थीं जिनमें से एक अमेरिका में रहती है.उन्होंने अपने जीवन के कीमती 50 साल मुंबई में ही बिताए थे लेकिन आखिरी समय ने बेंगलुरू में रहे थे.
अपने 50 साल के लंबे करियर में मन्ना डे ने 4000 ज्यादा गाने गाए. उनका जन्म 1 मई 1919 को कोलकाता में हुआ था वो एक बंगाली परिवार में जन्में थे. उनका असली नाम प्रबोध चंद्र डे था. उन्होंने ने अपनी शुरुआत फिल्म तमन्ना में सुरैया के साथ गाना गाकर की. उन्होंने अपने करियर संगीत के हर विधा को छुआ. लगभग हर तरह के गाने उनके कंठ से निकले. जिनमें से कुछ गाने ऐसे अमर हैं जो मानव समाज के इस धरती पर रहने तक सुने जाएंगे.
उनके चाचा थे पहले गुरु
मन्ना डे के चाचा खुद एक संगीतकार थे. एक घटना का जिक्र हर जगह किया जाता है कि मन्ना डे के चाचा और उस्ताद बादल खान एक साथ रियाज कर रहे थे. वहीं हंसी मजाक में मन्ना डे ने भी गाया और बादल खान ने उनकी आवाज की जादूगरी को भांप लिया तभी से मन्ना डे की संगीत की दुनिया के सफर की शुरुआत हुई. उनके संगीत के शुरुआती गुरु उनके चाचा ही रहे.
मन्ना डे ने हिंदी, बंगाली, मराठी, मलयालम, कन्नड़, असमिया और गुजराती जैसी कई भाषाओं में गाने गाए. उनमें से ‘लागा चुनारी में दाग’, ‘ये रात भीगी-भीगी’, ‘बाबू समझो इशारे’, ‘कसमें वादे प्यार वफा’, खास हैं. वहीं काबुलीवाला फिल्म का ‘ए मेरे प्यारे वतन’ और आनंद फिल्म का ‘जिंदगी कैसी है पहेली हाय’ ऐसे गीत हैं जो आज भी सभी के पसंदीदा गानों की लिस्ट में रहते हैं. उन्होंने यहीं नहीं मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की कृति ‘मधुशाला’ को भी अपनी आवाज दी.
मन्ना डे ऐसी शख्सियत थे जो खुद एक पुरस्कार थे. लेकिन उन्हें संगीत में दिए अभूतपूर्व योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है. उन्हें पद्मश्री (1971), पद्मविभूषण (2005) के अलावा भारतीय सिनेमा के सबसे सम्मानित पुरस्कार दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (2007) से भी नवाजा गया.
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