भोपाल. भोपाल विकास प्राधिकरण (Bhopal Development Authority-BDA) के प्रॉपर्टी धारकों के अच्छी खबर है. BDA शहर सीमा में आने वाली उसकी 25 हजार से अधिक प्रापर्टी की जानकारी ऑनलाइन अपलोड कर रहा है. इससे लीज रेंट और रिन्युअल जैसे काम ऑनलाइन और आसानी से हो जाएंगे. इसके लिए प्रॉपर्टी की जानकारी एक फॉर्मेट में भरकर BDA को देनी होगी.
जानकारी के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम शुरू भी हो गया है. पहले फेज में 12 प्रोजेक्ट को शामिल किया गया है. इन 12 प्रोजेक्टों में शामिल हर प्रॉपर्टी की जानकारी ऑनलाइन अपलोड की जा रही है. गौरतलब है कि राजधानी भोपाल में रेसीडेंसियल और कमर्शियल मिलाकर BDA के करीब 60 प्रोजेक्ट हैं.
ये है इस नई प्रोसेस का मकसद
भोपाल विकास प्राधिकरण के अधिकारी बताते हैं कि प्रॉपर्टी की जानकारी को ऑनलाइन करने का मकसद जनता को सुविधाएं देना है. लोग प्रॉपर्टी का लीज रेंट, रिन्युवल जैसी सुविधाएं घर बैठे ही ले लें और उन्हें मैन्युवली कोई भी प्रोसेस न करनी पड़े. अभी ऑनलाइन राशि जमा कराने की सुविधा तो दी जा रही है, लेकिन अन्य प्रोसेस मैन्युवली ही की जा रही है.
इस तरह की मांगी जानकारी
BDA ने लोगों से जानकारी मांगने के लिए एक फॉर्मेट तय किया है. इसमें प्रोजेक्ट का नाम, प्रापर्टी नंबर, आवंटी का नाम, मोबाइल नंबर, वॉट्सएप नंबर और ई-मेल आईडी की जानकारी मांगी गई है. यह जानकारी मिलने के बाद बीडीए इसे ऑनलाइन तरीके से अपलोड करेगा.
राजधानी भोपाल में प्रॉपर्टी के दाम (Property Rates) बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. शहर की 2800 लोकेशन पर ये दाम 17 से 20 फीसदी तक बढ़ाए जा सकते हैं. इस बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव जिला मूल्यांकन समिति ने तैयार कर लिया है. शहर के प्रमुख बाजारों में भी 40 से 50 प्रतिशत तक दाम बढ़ाने की तैयारी है. जिला मूल्यांकन समिति ने बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के पास भेजा है. एक जुलाई से नई कलेक्टर गाइडलाइन लागू करने की तैयारी की जा रही है.
कांग्रेस सरकार में कलेक्टर गाइडलाइन से जमीनों के दाम 20 प्रतिशत कम करने का निर्णय लिया था, लेकिन मौजूदा शिवराज सरकार दामों में इजाफा करने जा रही है. जानकारी के मुताबिक, प्रशासन ने शहर की 2800 लोकेशन पर फोकस किया है. इनकी कीमत में जरूरत के मुताबिक बढ़ोत्तरी की जाएगी. कलेक्टर गाइडलाइन में कमर्शियल लोकेशन का भी दाम बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है. ये दाम 40 से 50 फीसदी बढ़ाए जा सकते हैं. इतना ही नहीं, जमीनों की सरकारी कीमतों में इजाफा होने से रजिस्ट्री के लिए भी लोगों के जेब पर अधिक भार आएगा. राजधानी में बीते 8 सालों में 10 बार कलेक्टर गाइडलाइन की दरों में इजाफा किया गया है.