जब भी पृथ्वी (Earth) के पास के कोई क्षुद्रग्रह गुजरने वाला होता है तो लोगों में यह जानने की उत्सुकता होती है कि उसका पृथ्वी पर क्या असर होगा. क्या वह टकराएगा या बिना कोई प्रभाव छोड़े ही पास से गुजर जाएगा. पास से गुजरने का असर कई पिंडों पर पड़ता है. ब्रह्माण्ड में भी एक ग्रह से लेकर पूरी गैलेक्सी के पास से कई तरह के पिंड गुजरते हैं. लेकिन जब हमारी मिल्की वे जैसे गैलेक्सी के पास से कोई दूसरी गैलेक्सी (Flyby of Galaxy) गुजरती है, तब क्या होता है, भारतीय वैज्ञानिकों (Indian Scientists) ने यह एक अध्ययन में पता लगाया है.
हमेशा नहीं होता गैलेक्सी का विलय दो गैलेक्सी के पास आने पर ज्यादातर संभावना इस बात की मानी जाती है कि दोनों का आपस में विलय हो जाएगा. लेकिन कई बार गैलेक्सी एक दूसरे के पास ही गुजर जाती हैं. भारतीय खगलोविदों के इस अध्ययन में बताया गया है कि जब भी कोई छोटी गैलेक्सी बहुत बड़ी गैलेक्सी के पास से गुजरती है, तब बड़ी गैलेक्सी की संरचना में बड़े बदलाव आते हैं.
क्या होता है पास से गुजरने से शोधकर्ताओं ने पाया कि यदि कोई छोटी गैसेक्सी हमारी मिल्की वे जैसी गैलेक्सी के पास से गुजरेगी तो वह हमारी गैलेक्सी में भुजाओं के निर्माण की शुरुआत की वजह बन सकती है. मंथली नोटिसेस ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने छोटी गैलेक्सी के पास से गुजरने के बड़ी गैलेक्सी के उभार, तश्तरी, सर्पिल भुजा आदि पर असर की पड़ताल की.
डिस्क पर होता है सबसे ज्यादा असर शोधकर्ताओं ने पाया कि डिस्क पर सबसे प्रमुख प्रभाव यह होता है कि वह मोटी हो जाती है जो कि डिस्क स्केल की ऊंचाई और स्केल त्रिज्या (Scale Radius) के अनुपात के बढ़ने के रूप में स्पष्ट देखा जा सकता है. खगोलविदों का कहना है कि ब्रह्माण्ड में गैलेक्सी के फ्लाइबाय उतने ही सामान्य हैं जितने कि गैलेक्सी के विलय.
दो गैलेक्सी (Galaxies) के पास आने से गुरुत्व का प्रभाव एक दूसरे पड़ने लगता है. (तस्वीर: @NASAHubble)
बहुत अहम होता है फ्लाइबाय कम रेडशिफ्ट ब्रह्माण्ड में, यानि जहां पिंड एक दूसरे से दूर जा रहे हैं ऐसे ब्रह्माण्ड में गैलेक्सी के पास से गुजरने की घटनाएं गैलेक्सी के विकास के लिहाज से अहम हैं क्योंकि इसमें काफी मात्रा में ऊर्जा और पदार्थों का आदान प्रदान होता है. शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के महत्व पर जोर देते हुए कहा का ये संरचनाएं समय के साथ धुंधली हो जाती है.
गैलेक्सी को आकार देते हैं फ्लाइबाय फ्लाइबाय में दो गैलेक्सी पास आने पर एक दूसरे पर बहुत बड़ी मात्रा में गुरुत्वाकर्षण खिंचाव पैदा करती हैं और उसके बाद अपने अपने रास्ते निकल जाती हैं. भारतीय खगोलभौतिकविद संस्थान (IIA) के पीएचडी छात्र अंकित कुमार की अगुआई में हुए इस शोध में बताया गया है कि फ्लाइबाय गैलेक्सी को करोड़ों सालों तक आकार देने में अहम भूमिका निभाते हैं.
फ्लाइबाय का सबसे ज्यादा असर गैलेक्सी (Galaxy) की डिस्क या सर्पिल भुजा पर पड़ता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कम्प्यूटर सिम्यूलेशन से चला पता इस संयुक्त शोध में अंकित कुमार, आईआईए की प्रोफेसर मौसमी दास और शंघाई जिआओ तोंग युनिर्सिटी के डॉ संदीप कटारिया के साथ टीम ने कम्प्यूटर सिम्यूलेशन्स के जरिए इस घटना के हर गैलेक्सी पर गुरुत्व प्रभाव का अध्ययन किया. उन्होंने इसके लिए मिल्की वे की तरह गैलेक्सी की डिस्क बनाई और छोटी गैलेक्सी के भार, बड़ी गैलेक्सी में दूरी, उभार का प्रकार, आदि मानदंडों में विविधता लाते हुए फ्लाइबाय सिम्यूलेट किए और पाया कि जब छोटी गैलेक्सी विशालकाय गैलेक्सी के पास से गुजरती है, वह बड़ी गैलेक्सी में सर्पिल भुजाओं के निर्माण का कारण बनती है.
शोधकर्ताओं ने इसके लिए शक्तिशाली सुपरकम्प्यूटर का उपयोग कर फ्लाइबाय के दौरान गैलेक्सी के हर तारे की गतिविधि पर नजर रखी. उन्होंने पाया कि जैसे ही छोटी गैलेक्सी का गुरुत्व प्रभाव छूटता है, सर्पिल भुजा कमजोर हो जाती है. इससे पता चलता है कि सैटेलाइट गैलेक्सी की बड़ी गैलेक्सी में (जिसका वे चक्कर लगाती हैं) लंबे समय तक टिकने वाली सर्पिल भुजाओं के बनने में क्या भूमिका होती है. लेकिन विशाल गैलेक्सी के अंदर तारों का गोलाकार फुलाव सघन होने के कारण इन फ्लाइबाय से अप्रभावित ही रहता है.