भारत में ऑनलाइन गेम के दीवानों के लिए बुरी खबर है. एक के बाद एक दक्षिण भारत के राज्यों में ऑनलाइन गेम्स बैन किए जा रहे हैं. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु के बाद कर्नाटक में भी ऑनलाइन गेमिंग ऐप पर बैन लग गया है. इन्हें सट्टेबाजी और खेल के अनिश्चित परिणाम पर यूजर्स से पैसा लगवाने वाले ऐप मानते हुए कानूनन प्रतिबंधित किया गया हैं. इन ऐप पर क्रिकेट, फुटबॉल, सहित विभिन्न खेलों में टीमें बनाकर यूजर्स पैसा लगाते हैं. इस तरह के ऑनलाइन गेम्स की वजह से लोगों के साथ धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं. इतना ही नहीं बच्चों और युवाओं के बीच खुदकुशी की वजह भी यह गेम्स बन रहे हैं. इस तरह के फ्रॉड और सुसाइड केस पर रोकथाम के लिए बैन का कदम उठाया गया है. हालांकि, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में है.
ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ रोलैंड लैंडर्स का कहना है, ''भारतीय नियामक ढांचे ने भारत में 'स्किल गेम्स' और 'चांस गेम्स' के बीच स्पष्ट रूप से अंतर किया है. 'स्किल गेम्स' में कभी-कभी हिस्सा लेने के लिए एंट्री फीस के तौर पर पैसे देने पड़ते हैं, सिर्फ इसलिए इसके गैंबलिंग यानी जुए की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. इसलिए, वैध स्किल गेमिंग बिजनेस को गैंबलिंग बैन के तहत नहीं पकड़ा जाना चाहिए. हमारा फेडरेशन राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने की तैयारी कर रहा है.'' इसके अलावा ड्रीम 11, एमपीएल, ज़ूपी आदि जैसे स्टार्ट-अप का प्रतिनिधित्व करने वाले इंडियाटेक के सीईओ रमेश कैलसम का कहना है, "हम आशा करते हैं कि 'स्किल गेम्स' और 'चांस गेम्स' के बीच पर्याप्त को समझते हुए अलग-अलग राज्य ऑनलाइन गेम्स के लिए प्रासंगिक नियम बनाएंगे."
भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की तेज ग्रोथ के बीच कई राज्यों में बैन की खबरें भी हैं.
ऑनलाइन गेम पर बैन उचित या अनुचित?
ऑनलाइन खेले जाने वाले ये खेल वाकई किसी स्किल से जुड़े हैं, किसी हुनर से या फिर ये पूरी तरह से किस्मत पर आधारित हैं? यह सवाल हमेशा बड़ी बहस को जन्म देता रहा है. इसके बाद, जब ऑनलाइन गेम्स में पैसा शामिल हो जाता है, यानी जुए या प्राइज़ मनी की रकम, तो स्थितियां और उलझती हैं, क्योंकि यहां से साइबर फ्रॉड की शुरूआत होती है. चूंकि ऑनलाइन गेम्स और गैंबलिंग को लेकर कोई नियम कायदे तय नहीं हैं, इसलिए अधिकतर खिलाड़ी खुद को छला हुआ महसूस करते हैं, जिनके साथ धोखा हुआ होता है. इन खेलों के आलोचक भी कहते हैं कि जबसे मोबाइल फोन पर बच्चों या नौजवानों तक ये खेल पहुंचे हैं, तो कई बार महंगे गेमिंग एड-ऑन खरीदने के लिए पैसे नहीं होते और इनको कई तरह के तनाव से गुज़रना पड़ता है. क्योंकि वो अपने साथियों के साथ गेम में हिस्सा नहीं ले पाते.
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का सुपरफास्ट ग्रोथ
भारत में पबजी जैसे मशहूर ऑनलाइन गेम के बैन होने के बावजूद ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री तेजी से ग्रोथ कर रही है. पिछले साल कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन की फायदा भी मिला है. साल 2019 के दौरान ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने 40 फीसदी की दर से ग्रोथ किया है. इसका सालाना राजस्व 6500 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. साल 2022 तक इसके करीब तीन गुना बढ़ कर 18700 करोड़ हो जाने की उम्मीद है. ऑनलाइन गेम्स खेलने वालों की संख्या साल 2010 के मात्र ढाई करोड़ से 14 गुना बढ़ कर अब 36 करोड़ से अधिक हो गई है. इस ग्रोथ रेट को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों के बीच ऑनलाइन गेम्स का क्रेज किस कदर है. लेकिन जिस तरह एक के बाद एक राज्य अपने वहां ऑनलाइन गेम्स को बैन करते जा रहे हैं, उसे इंडस्ट्री की ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ना स्वाभाविक है.
गेमिंग पर हर महीने खर्च करते हैं 230 रुपए
इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत में 40 फीसदी हार्डकोर गेमर्स हर महीने औसतन 230 रुपये का भुगतान कर रहे हैं. इसके अलावा गेमिंग से जुड़े मोबाइल एप डाउनलोड में 50 फीसदी की वृद्धि हुई है. यूजर इंगेजमेंट भी 20 फीसदी बढ़ा है. भारत में वर्तमान में 430 मिलियन से अधिक मोबाइल गेमर्स हैं. यह संख्या साल 2025 तक बढ़कर 650 मिलियन हो सकती है. वर्तमान में गेमिंग सेक्टर में मोबाइल गेमिंग का दबदबा है. मोबाइल गेमिंग देश में मौजूदा 1.6 बिलियन डॉलर के गेमिंग मार्केट में 90 फीसदी से अधिक का योगदान देता है. देश में स्मार्टफोन की पहुंच में तेजी से हुई वृद्धि के कारण भारत गेमिंग मोबाइल बैंडवागन में शामिल हो गया है. अब बड़े कंसोल और पीसी गेम मोबाइल प्लेटफॉर्म के लिए क्यूरेट किए जा रहे हैं. इस सेक्टर में 1 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है.
ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री तीन हिस्सों में बंटी है:-
1. ऑनलाइन गैंबलिंग: ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैंबलिंग के बीच एक बहुत बारीक सी लकीर है. मल्टीप्लेयर गेमिंग मजेदार है जिसके जरिए आप अपने दोस्तों के साथ अच्छा टाइम पास कर सकते हैं. हालांकि जुए में एक-दूसरे के खिलाफ पैसे का दांव लगाया जाता है और खिलाड़ियों के बीच पैसों का लेन देन होता है. ज्यादातर ऑनलाइन गेम फ्री हैं और खेलने के लिए किसी भी पैसे की आवश्यकता नहीं है जबकि ऑनलाइन गैंबलिंग के लिए यूजर्स को पहले पैसों की शर्त लगाने और फिर खेल खेलने की आवश्यकता होती है. भारत में 'Teen Patti' और 'Rummy' सबसे पॉपुलर ऑनलाइन गैंबलिंग गेम हैं. यूजर्स ऑनलाइन पेमेंट मोड जैसे क्रेडिट, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या यूपीआई के जरिए दांव लगाते हैं. एक शर्त रखने के बाद जीतने या हारने वाला अपने हिसाब से पेमेंट करता है.
2. ऑनलाइन बेटिंग: ताश, क्रिकेट और फुटबाल जैसे कई खेलों पर आधारित गेम्स के जरिए होने वाली सट्टेबाजी को ऑनलाइन बेटिंग के कैटेगरी में रखा जाता है. भारत के अधिकांश हिस्सों में सट्टेबाजी अवैध है. लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है जो ऑनलाइन बेटिंग को एक अवैध गतिविधि बनाता है. यही वजह है कि कई ऑनलाइन बेटिंग साइट्स जैसे Dream11, Cricket360, myteam11 आदि का दावा है कि वो किसी भी तरह कि सट्टेबाजी में शामिल नहीं है. भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म ड्रीम 11 तो आईपीएल का टाइटल स्पॉंसरशिप है. कंपनी नियमित रूप से टेलीविज़न में विज्ञापन दिखाकर लोगों को ऑनलाइन सट्टेबाजी में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती है. देश में सट्टेबाजी अवैध होने के बावजूद कानूनन उनका कोई अहित नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऑनलाइन प्रवाधान अभी बना ही नहीं है.
3. ई-स्पोर्ट्स: वह खेल जो कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक तकनीकों के सहारे खेला जाता है, उसे ई-स्पोर्ट्स की कैटेगरी में रखा जाता है. इसमें खिलाड़ी खेल के मैदान से दूर आभासी मैदान पर अपना जलवा दिखाते हैं. इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इंग्लैंड के स्टार हरफनमौला बेन स्टोक्स ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान फॉमूला-1 रेसर चार्ल्स लेकलेर्क और एलेक्स एलबोन के साथ फॉमूला-1 ई-स्टोर्ट्स रेस में हिस्सा लिया. इसे दर्शक भी लाखों की संख्या में मिले. इंडोनेशिया में आयोजित 2018 एशियाई खेलों में प्रदर्शन खेल के तौर पर शामिल ई-स्पोर्ट्स को 2022 के होंगजोऊ खेलों में मुख्य खेल के तौर पर शामिल कर लिया गया है. इसके साथ ही इसे ओलंपिक में भी जगह देने की तैयारी चल रही है. ऐसे में भारत में खेल की व्यापकता को समझना अहम हो जाता है.