जागरण संवाददाता, गुरुग्राम: साइबर क्राइम के बढ़ते मामलों को देखते हुए गुरुग्राम पुलिस ने आनलाइन जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है। ई-मेल फिशिग जैसे साइबर अपराधों से कैसे बचा जाए, इस बारे में भी जानकारी दी जा रही है। फिलहाल पुलिस आयुक्त केके राव के निर्देश पर इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का अभियान शुरू किया गया है। बाद में जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम भी होंगे। पिछले कुछ समय से साइबर क्राइम की औसतन 20 से 25 शिकायतें प्रतिदिन सामने आ रही हैं। कुछ दिन पहले जालसाजों ने गुरुग्राम के मंडलायुक्त को भी शिकार बना लिया था। उनके खाते से बड़ी राशि निकाल ली थी।
जालसाजी से बचने के उपाय
- कोई ईमेल या वेबसाइट को खोलने से पहले उस पर लिखे टेक्स्ट की स्पेलिग चेक करें। आमतौर पर फेक मेल और वेबसाइट्स की स्पेलिग गलत होती है। कई बार ग्रामर की भी गलती देखने को मिलती है। यही फर्जी होने की पहचान कराता है।
- ईमेल पर दिख रहे नाम पर भरोसा न करें। कई बार हैकर्स आपके जानने वाले के नाम से ईमेल भेजते हैं। आपको लगता है कि आपके दोस्त ने भेजा है और फिर आप ईमेल को ओपन कर अपनी जानकारी साझा करते हैं। पूरी तरह चेक करने के बाद ही मेल खोलें। ईमेल एड्रेस (आइडी) भी चेक करें।
- गलत यूआरएल, फर्जी साइट और ईमेल को पहचानने का एक तरीका यह है कि ईमेल में आए लिक को खोलने से पहले उस पर माउस ले जाएं। आपको पापअप के रूप में असली यूआरएल और हाइपरलिक दिखाई देगा।
- कई बार ई-मेल, मैसेज और वेबसाइट्स पर पर्सनल जानकारी मांगी जाती है। ऐसे में सतर्क हो जाना चाहिए। किसी भी हाल में अपना पासवर्ड, पर्सनल डाटा और डेबिड या क्रेडिट कार्ड की जानकारी न दें।
- किसी भी अटैचमेंट पर क्लिक करने में जल्दबाजी न करें। अटैचमेंट को खोलने या डाउनलोड करने से पहले जिस मेल से वह आया है उस आइडी की जांच करें। अगर आप उस ईमेल आइडी को जानते हैं तो ही अटैचमेंट को ओपन करें। अन्यथा ईमेल को डिलीट कर दें।
- इनबाक्स में ईमेल को आने से तो रोक नहीं सकते लेकिन सावधानी बरतते हुए अनट्रस्टेड ईमेल की पहचान कर सकते हैं। मेल में आए हुए लिक की पूरी जानकारी के बाद ही क्लिक करें। अगर किसी वजह से ओपन कर लेते हैं तो लिक जिस भी वेबसाइट से आया है उसकी स्पेलिग जरूर चेक करें, जो ओरिजनल वेबसाइट से मिलता-जुलता हो सकता है। ऐसी ईमेल को न खोलें।
- हमेशा एड्रेस बार में सही यूआरएल टाइप कर साइट को लाग-आन करें। आप यूजर आइडी एवं पासवर्ड केवल अधिकृत लाग-इन पेज पर ही दें। अपना यूजर आइडी एवं पासवर्ड डालने से पहले अवश्य सुनिश्चित कर लें कि लाग-इन पेज का यूआरएल 'द्धह्लह्लश्चह्य://' से शुरू हो रहा है या नहीं। यहां 'एस' सुरक्षित को दर्शाता है।
- अपनी व्यक्तिगत जानकारी फोन या इंटरनेट पर तभी दें जब काल या सेशन आपने शुरू किया हो या फिर आप सामने वाले को पूरी तरह से जानते हों। यह ध्यान रखने की बात है कि बैंक कभी भी ईमेल या फोन काल के माध्यम से आपके खाते की जानकारी नहीं मांगता है।
- अपना बैंक एकाउंट नंबर, पासवर्ड आदि किसी को न बताएं। अपने इंटरनेट बैंकिग और बैंकिग ट्रांजेक्शन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, पार्क, सार्वजनिक मीटिग और किसी भीड़-भाड़ वाले स्थान पर न करें। अपने एटीएम का पिन कोड न ही लिख कर रखें और न ही किसी को ओटीपी बताएं। किसी को भी अपने बैंक खाता से संबंधित किसी प्रकार की जानकारी न दें। यहां दर्ज करा सकते हैं शिकायत
साइबर क्राइम से संबंधित शिकायत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन, पुलिस चौकी या साइबर पुलिस स्टेशन में दे सकते हैं। इस पोर्टल द्धह्लह्लश्चह्य://ष्4ढ्डद्गह्मष्ह्मद्बद्वद्ग.द्दश्र1 पर भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर 155260 पर भी काल कर शिकायत दे सकते हैं।
साइबर क्राइम पर जागरूकता से ही लगाम लगा सकते हैं। इसी को ध्यान में रखकर अभियान शुरू किया गया है। विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जालसाजों की पहचान कर गिरफ्तार करने के भी प्रयास तेजी से किए जा रहे हैं।
-केके राव, पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम