वेबिनार: जागरूकता और जानकारी ही बचाएगी साइबर क्राइम से, पुलिसकर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

विस्तार

जागरूकता और जानकारी से ही साइबर क्राइम से बचा जा सकता है। सोशल मीडिया के विशाल सागर में शातिर दिमाग वाले लोगों की कमी नहीं है। यहां जरा सी लापरवाही आपको आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचा सकती है। रविवार को अमर उजाला की ओर से 'साइबर क्राइम और बचाव' विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इसमें एडीजी जोन आगरा राजीव कृष्ण सहित शहर के कई साइबर क्राइम व आईटी विशेषज्ञों ने ये जानकारी दी। विशेषज्ञों ने कहा कि आज के दौर में साइबर क्राइम का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के अनुसार वर्ष 2012 में जहां देशभर में साइबर क्राइम के 3477 केस दर्ज हुए थे तो वहीं वर्ष 2019 में यह आंकड़ा 44546 तक पहुंच गया है। आने वाले समय में इस संख्या में और इजाफा हो सकता है। हर दिन नए केस सामने आ रहे हैं। तीन तरह के हैं साइबर अपराध पिछले दो महीनों में जोन के 161 थानों में जागरूकता अभियान चलाया गया। 9.20 लाख लोग ऑनलाइन प्रशिक्षण का हिस्सा बने। साइबर क्राइम के तहत मुख्य तौर पर तीन तरह के अपराध सामने आते हैं। पहला आर्थिक, दूसरा अश्लीलता से जुड़ा और तीसरा समाज के खिलाफ (समाज विरोध टिप्पणियां)। एडीजी के यू्ट्यूब चैनल, ट्विटर अकाउंटेंट पर प्रशिक्षण के वीडियो अपलोड किए गए हैं, एक बार उन पर नजर जरूर दौड़ाएं। साइबर अपराध से जुड़ी ठगी बड़ी हो या छोटी, पुलिस को अवगत जरूर कराएं ताकि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। - राजीव कृष्ण, एडीजी (आगरा जोन)
पुलिसकर्मियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण जानकारी के अभाव में लोग साइबर क्राइम के शिकार हो जाते हैं। हर दिन इस तरह के मामले सामने आते हैं। वीडियो कॉलिंग के जरिये लोगों की तस्वीर खींचकर, उसे एडिट कर अश्लील वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाता है। पुलिस के साथ लगातार काम चल रहा है। कई राज्यों के पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब तो यूट्यूब पर ही साइबर अपराधों से बचने के ढेरों तरीके हैं, इन्हें एक बार जरूर चेक कर लीं। जागरूक रहें। - रक्षित टंडन (साइबर क्राइम एक्सपर्ट) बच्चों को जानकारी देना जरूरी आजकल ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है। बच्चे दिन भर मोबाइल हाथ में लिए बैठे रहते हैं। बच्चों को प्रारंभिक स्तर पर ही साइबर अपराधों के बारे में जानकारी देना जरूरी है। कभी भी अपना व्यक्तिगत ईमेल आईडी या मोबाइल नंबर सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर अपलोड न करें। फेसबुक पर व्यक्तिगत जानकारी देने से बचें। - राजीव सिंघल (आईटी विशेषज्ञ) सीमा के विवाद में न उलझे पुलिस साइबर अपराधों को लेकर समाज में जागरूकता की कमी है। इसके लिए पुलिस ने अभियान चलाए हैं लेकिन आमजन को भी समझदारी से काम लेना होगा। पुलिस को ऐसे मामले में सीमा के विवादों को नजरअंदाज कर एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। लोग जागरूक रहेंगे तो साइबर क्राइम से बचे रहेंगे। - प्रवीन कुमार सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता)
जानकारी न होने का फायदा हैकर्स उठाते हैं साइबर अपराधों की लोगों को अभी कम जानकारी है। आम लोगों को अभी तक स्मार्ट फोन ठीक से चलाना भी नहीं आता है। इसी का फायदा हैकर्स और अपराधी उठाते हैं। भोले-भाले लोगों को जाल में फंसाकर उनका आर्थिक और सामाजिक शोषण करते हैं। इंटरनेट पर ही साइबर अपराध से बचने का काफी सामग्री है। एक बार इसे जरूर देखें। - मनीष राघव (आईटी जानकार) ये एहतियात बरतें - नेट बैंकिंग के इस्तेमाल के दौरान ओटीपी किसी से न करें साझा। - नेट बैंकिंग और एटीएम का पासवर्ड हर तीन महीने पर बदलते रहें। - किसी भी अनजान व्यक्ति के हाथ में अपना डेबिट या क्रेडिट कार्ड न दें। - बैंक ट्रांजेक्शन पर नजर रखें, संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत बैंक को दें। - कोई अनजान व्यक्ति अगर बैंक से संबद्ध होने का दावा करता है तो उसके झांसे में न आएं। - एटीएम एवं पीओएस मशीन में पिन कोड डालते वक्त की-पैड को अपने दूसरे हाथ से ढक कर रखें।मोबाइल नंबर न करें शेयर सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपना मोबाइल नंबर कभी शेयर न करें। सिम के क्लोन होने का डर बना रहता है। इंटरनेट के माध्यम से इस्तेमाल किए जाने वाले किसी भी अकाउंट जैसे बैंक अकाउंट, सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल आईडी का यूजर आईडी एवं पासवर्ड किसी भी परिस्थिति में परिचित या अपरिचित व्यक्ति से साझा न करें। इन अकाउंट पर उपलब्ध जानकारियों का कभी भी दुरुपयोग हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति आपको गलत मैसेज भेज रहा है तो उसके नंबर को तुरंत ब्लॉक कर दें।
टू स्टेप वेरिफिकेशन का करें प्रयोग टू स्टेप वेरिफिकेशन का प्रयोग करना बेहतर रहेगा, अगर आप अपने किसी भी बैंक या सोशल मीडिया अकाउंट में लॉगिन करते हैं तो आपके मोबाइल पर एक ओटीपी आएगा। उस ओटीपी का प्रयोग करके ही आप अपने अकाउंट में लॉगिन कर सकते हैं। अपने मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक गैजेट की स्क्रीन लॉक रखें ताकि अगर आपका मोबाइल किसी गलत हाथ में चला जाए तो उसमें मौजूद आपका व्यक्तिगत डाटा चोरी न हो। एटीएम कार्ड नंबर, क्रेडिट कार्ड नंबर अगर कोई अनजान व्यक्ति फोन, मैसेज अथवा ईमेल के माध्यम से मांगे तो उसे नहीं दें। बनाएं मुश्किल पासवर्ड अपने बैंक अकाउंट या सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड अल्फा न्यूमेरिकल, अंग्रेजी के कैपिटल लेटर, स्मॉल लेटर, अंक 0-9 तथा प्रतीक चिन्हों जैसे एट द रेट, हैशटैग, एंड आदि के मिश्रण से ही बनाएं। यूजर आइडी एवं पासवर्ड को कहीं लिखकर रखने के बजाय उसे याद रखने का प्रयास करें। अपने हर अकाउंट का एक पासवर्ड रखने की बजाय अलग-अलग पासवर्ड रखें। फिशिंग से कर रहे जालसाजी आजकल फिशिंग का इस्तेमाल कर हैकर्स लोगों का डाटा और पैसा उड़ा देते हैं। दरअसल फिशिंग एक ऐसा कामन मेथड है जिसका उपयोग हैकर किसी के अकाउंट के लॉगिन आइडी और पासवर्ड चुराने के लिए करते हैं। इस मेथड में हैकर किसी वेबसाइट का लॉगिन पेज के जैसे दिखने वाला डुप्लीकेट लॉगिन पेज तैयार करते हैं और पीड़ित को डुप्लीकेट लॉगिन पेज के द्वारा लॉगिन कराने की कोशिश करते हैं। अगर पीड़ित डुप्लीकेट पेज के द्वारा लॉगिन करता है तो यूजर की आईडी और पासवर्ड हैकर के पास चला जाता है। ऐसे तमाम केस ताजनगरी में भी सामने आए हैं। यहां कर सकते हैं शिकायत शासन ने लखनऊ में साइबर क्राइम मुख्यालय की स्थापना की है। आप अपनी शिकायत [email protected] पर दर्ज करा सकते हैं। वहीं, मंडल स्तर पर भी साइबर क्राइम थानों का गठन किया गया। आगरा में पुलिस लाइन में थाना है। मंडल के चारों जिले आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी के साइबर क्राइम के केस यहां दर्ज होते हैं। आप [email protected] अथवा मोबाइल नंबर 7839876645 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अन्य समाचार