कोरोना काल में अभिभावकों ने बच्चों को नहीं भेजा
हर गली में खुले थे प्ले हाउस, 90 फीसदी हो गए बंद
आगरा। किंग्स प्ले हाउस, लिटिल किड स्कूल, माउंट मांटेसरी, सेंट मेरी स्कूल कुछ ऐसे ही नामों से हर गली में प्ले स्कूल खुले थे। कोरोना काल में अधिकतर प्ले स्कूल बंद होने के कगार पर हैं। स्कूल का खर्च न निकलने पर संचालकों ने ताले लगा दिए। शहर में अभी तक एक हजार से अधिक प्ले हाउस चल रहे थे। किसी बड़े स्कूल में भेजने से पहले अभिभावक बच्चे का प्ले हाउस में एडमिशन कराते थे। छोटे बच्चों को स्कूल में बैठने के लिए तैयार करना होता था। 2020 में लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्ले स्कूल बंद हो गए। उनके ताले अब तक खुल नहीं सके।
हर गली में खुले थे प्ले हाउस
शहर के हर मोहल्ले और गली में प्ले हाउस खुले हुए थे। प्ले हाउस खोलने के लिए कोई मान्यता नहीं लेनी होती थी। दो कमरों के ही मकान में प्ले हाउस संचालित हो रहे थे। प्ले हाउस में प्रवेश के लिए अभिभावकों को ऑफर तक दिए जाते थे। शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रवेश कराने की ड्यूटी पर लगाया जाता था।
घरों पर बच्चों की करा रहे तैयारी
प्ले हाउस बंद होने के बाद छोटे बच्चों को एबीसीडी सीखाने की जिम्मेदारी अभिभावकों पर आ गई। अभिभावक घर से बच्चों की तैयारी करने में लग गए हालांकि कई को दिक्कत आ रही है। कमला नगर निवासी सोनिया सिंह बताती है कि बड़े बच्चे को प्ले हाउस में बैठाने से फायदा मिला था। उसका प्रवेश बड़े स्कूल में आसानी से हो गया लेकिन छोटी बेटी को प्रवेश मिलने में दिक्कत आ रही है। अभिभावक रोहित शर्मा बताते है कि अभी भी डर बना हुआ है। घर पर ट्यूशन पढ़ा रहे है।
दूसरा कार्य करने लगे प्ले हाउस संचालक
अधिकतर प्ले हाउस स्कूल संचालक दूसरे कारोबार में चले गए हैं। किसी ने ऑनलाइन क्लास शुरू कर दी तो कोई ऑनलाइन सब्जी बेच रहा है। दयालबाग में प्ले हाउस चलाने वाले अभिषेक अग्रवाल बताते है कि किराये की बिल्डिंग लेकर प्ले हाउस खोला था। चार साल तक अच्छा स्कूल चला लेकिन लॉकडाउन के कारण बंद करना पड़ा। बिल्डिंग का किराए के साथ शिक्षक व कर्मचारियों का वेतन भी देना मुश्किल हो गया।
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