सहारनपुर: प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भरता के पाठ से छात्र ने ली सीख, बना डाला एक नया सोशल नेटवर्किंग ऐप

सहारनपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भरता का पाठ सहारनपुर के एक छात्र सिद्धार्थ त्यागी ने बड़े ही मन से सुना और उसे आत्मसात कर लिया. आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाते हुए सिद्धार्थ त्यागी ने एक सोशल नेटवर्किंग ऐप बनाया है. यह एक लोकेशन बेस्ड ऐप है. प्रारंभिक स्तर पर यह ऐप दो किमी में रहने वाले लोगों को जोड़ता है. इसके ऐप को बनाने के लिए सिदार्थ के पिता ने अपनी नौकरी भी दांव पर लगा दी. बेटे की सफलता से पूरा परिवार गौरवान्वित है.

लॉकडाउन में आया आईडिया कहते हैं मन में कुछ करने की लगन हो, तो हर मुश्किल आसान हो जाती है. ऐसा ही कुछ सिद्धार्थ ने कर दिखाया है. सिद्धार्थ त्यागी जिले के जेजे पुरम इलाके में रहते हैं. सेंट मैरी एकेडमी से 12वीं की परीक्षा देने के तुरंत बाद पिछले साल लॉकडाउन लागू हो गया था. ऐसे में घर पर रहते हुए सिदार्थ ने कुछ अनूठा करने का निश्चय किया. नेट पर सर्चिंग के दौरान उसने ऐप बनाने की तकनीकि को पढ़ा. सिद्धार्थ की कोशिश थी कि जो भी ऐप बने वह अधिक से अधिक लोगों के लिए उपयोगी साबित हो.
15 अगस्त को लॉन्च किया ऐप 16 महीने की लगातार मेहनत के बाद आखिरकार सिद्धार्थ तीन अगस्त-2021 को ऐप बनाने में कामयाब हुआ. लॉन्चिंग से पहले कई बार उसकी टेस्टिंग की ताकि ऐप डाउनलोड करने के बाद उसे इस्तेमाल करने में कोई परेशानी न हो. 15 अगस्त को सिद्धार्थ ने अपने बनाए ऐप को 'स्टोमेंट' का नाम देकर लॉन्च किया. गूगल प्ले स्टोर से यह ऐप फ्री में डाउनलोड किया जा सकता है. वहीं, सिद्धार्थ एप्लीकेशन डेवलपमेंट की गहराई में जाकर अब और अधिक उपयोगी ऐप बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.
ऐसे काम करता है ये ऐप सिद्धार्थ त्यागी ने बताया कि ऐप को डाउनलोड करने के बाद यह दो किमी के दायरे में शामिल उन सभी मोबाइल से कनेक्ट हो जाता है, जिसने यह ऐप डाउनलोड किया हुआ है. उदाहरण के तौर पर विपिन ने ऐप डाउनलोड किया है. वह ऐप पर एक मैसेज डालता है कि शहर के किसी क्षेत्र का मार्ग सीवर लाइन की खुदाई के कारण रात 8 बजे तक बंद रहेगा. दूसरी ओर उत्कर्ष, विशाल, जतिन, नीशू आदि ने भी ऐप डाउनलोड कर रखा है. ऐसे में इन सभी को विपिन का मैसेज ऐप को टच करते ही मिल जायेगा.
पिता ने की सरकार से अपील सिद्धार्थ के पिता प्रवीण ने कहा कि मेरे बेटे ने बहुत मेहनत की है. रात-रात भर जाग कर उसने काम किया. इसकी सफलता के लिए मैंने अपनी जॉब छोड़ दी है. मेरे घर का खर्चा मेरी गांव की एक 8 बीघा जमीन से चलता है. इसके अलावा मेरे पिताजी रेलवे से रिटायर हैं, जोकि हमारे घर का खर्चा चलाने में मदद करते हैं. उन्होंने सरकार से अपील की है कि उनके बेटे का सहयोग करें और प्रोत्साहित करें. ताकि वह पूरे देश में अपना नाम और देश का नाम रोशन कर सके.

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