हेल्थ आईडी बनाने का सबसे आसान तरीका जानिए, मोबाइल ना हो तो ऐसे कराना होगा रजिस्ट्रेशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) की शुरुआत की. प्रधानमंत्री ने पिछले साल 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अभियान की पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. अभी इस योजना को छह केंद्र शासित प्रदेशों में शुरुआती चरण में लागू किया जा रहा है. एनडीएचएम की शुरुआत आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की तीसरी वर्षगांठ के साथ ही की जा रही है.

जन धन, आधार और मोबाइल (जेएएम) और सरकार की अन्य प्लेटफॉर्म के आधार पर एनडीएचएम स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा और निजता को सुनिश्चित करते हुए डेटा, सूचना और जानकारी का एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तैयार करेगा. एनडीएचएम के तहत प्रत्येक नागरिक के लिए एक स्वास्थ्य आईडी बनाई जाएगी जो उनके स्वास्थ्य खाते के रूप में भी काम करेगी, जिससे व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड को मोबाइल ऐप्लिकेशन की मदद से जोड़ा और देखा जा सकता है.
कैसे बनेगा हेल्थ कार्ड
इसके लिए गूगल प्ले स्टोर पर NDHM हेल्थ रिकॉर्ड (पीएचआर ऐप्लीकेशन) उपलब्ध कराया गया है. जिन्हें हेल्थ आईडी बनवानी है उन्हें इसके जरिए ही रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके जरिए हर यूजर की एक यूनीक आईडी बनेगी. हो सकता है किसी के पास मोबाइल न हो. ऐसे लोग अपनी हेल्थ आईडी का रजिस्ट्रेशन सरकारी-प्राइवेट अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, वेलनेस सेंटर और कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर करा सकते हैं. बिना मोबाइल वाले लोग इन सेंटरों पर अपना हेल्थ आईडी कार्ड बनवा सकते हैं. इसके तहत लाभार्थी से बेहद सामान्य जानकारियां पूछी जाएंगी जैसे नाम, जन्म की तारीख, पता आदि बताना होगा और हेल्थ आईडी का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा.
ये जानकारी देनी होगी
एनडीएमएच हेल्थ रिकॉर्ड में यूजर के मेडिकल रिकॉर्ड से जुड़ी तमाम जानकारी दर्ज की जाएगी. इसमें लिखा जाएगा कि कहां-कहां और किस डॉक्टर के पास किस मर्ज का इलाज हुआ है. क्या-क्या दवाएं चली हैं, वह भी दर्ज की जाएगी. यहां तक कि यह भी कि पिछली बार उस पर किस दवा का क्या असर हुआ था और क्या नहीं. अगर कोई डॉक्टर मरीज की दवा बदलता है तो उसका कारण भी इस जानकारियों में जुड़ा होगा. डॉक्टर इसमें बताएगा कि किस परेशानी के चलते मरीज की दवा को बदला गया और दूसरी दवा चलाई गई. इससे डॉक्टर को अपने मरीजों के इलाज में काफी आसानी होगी और मरीज को भी सही इलाज मिल सकेगा.
डिजिटल हेल्थ कार्ड का लाभ
डिजिटल हेल्थ कार्ड के जरिये स्वास्थ्य से जुड़ी सारी जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में एकत्रिक होती जाएगी. इससे यूजर की एक मेडिकल हिस्ट्री तैयार हो जाएगी. आगे जब कभी हेल्थ कार्ड यूजर किसी अस्पताल में इलाज कराने जाएगा, तो उसके सारे पुराने रिकॉर्ड, डिजिटल फॉर्मेट में मिल जाएंगे. अगर आप किसी दूसरे शहर के अस्पताल भी जाएं तो वहां भी यूनीक कार्ड के जरिए डेटा देखा जा सकेगा. इससे डॉक्टरों को इलाज में आसानी होगी. साथ ही कई नई रिपोर्ट्स या प्रारंभिक जांच आदि में लगने वाला समय और खर्च बच जाएगा.
अभी मरीज के साथ तीमारदारों को जहां भी जाना होता है, साथ में जांच और उससे जुड़ी फाइलें ढोनी होती हैं. एक भी जांच का कागज गुम हो जाए तो फिर से जांच कराने की नौबत आ जाती है. डिजिटल हेल्थ कार्ड के साथ ऐसा नहीं होगा. अब हर रिपोर्ट मरीज के डिजिटल कार्ड के साथ जुड़ती जाएगी. फाइल ढोने का झंझट खत्म हो जाएगा.
सरकारी मदद में आसानी
यह काम पूरी तरह से सरकारी होगा, इसलिए सरकार लक्षित लाभ यानी कि मरीज के डेटा के हिसाब से लाभ दे सकती है. अभी सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा खूब होता है. इससे बचाने में यह डिजिटल हेल्थ कार्ड मदद करेगा. इलाज के लिए सब्सिडी आदि देने में भी सहूलियत होगी. अभी तक आयुष्मान भारत योजना के तहत 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त उपचार की सुविधा प्राप्त हो चुकी है. देश में इन लोगों का 'आयुष्मान कार्ड' बनाकर इन तक स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया गया. ऐसा करते हुए यह सुनिश्चित किया गया कि योजना का लाभ लिंग, उम्र या किसी भी प्रकार के भेदभाव के बगैर सभी जरूरतमंदों तक पहुंचे. इस काम में डिजिटल हेल्थ कार्ड और मदद करेगा.
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