आईफोन को भारत में शुरुआत से ही एक स्मार्टफोन से ज्यादा स्टेट्स सिंबल के रूप में देखा गया है और कीमत अधिक होने की वजह से सभी स्मार्टफोन उपभोक्ता आईफोन धारक नहीं बन पाते हैं। हालांकि वह बात और है कि आईफोन हमेशा से अपनी उन्नत तकनीक और लगातार होने वाले इनोवेशन के साथ स्मार्टफोन की श्रेणी में अग्रणी रहा है। हाल ही में एप्पल ने अपने आईफोन 13 की नई फ्लैगशिप सिरीज़ भी लॉन्च की है।
अगर आप भी आईफोन खरीदने की इच्छा रखते हैं लेकिन आपकी जेब इसकी इजाजत नहीं देती है तो यहाँ हम सस्ते आईफोन के बारे में तो जानकारी नहीं दे पाएंगे लेकिन यहाँ हम आपको उन कारणों से जरूर रूबरू करवा रहे हैं जिनकी वजह से आईफोन आज तक आपकी जेब से दूर रहा है।
अधिक कर और इम्पोर्ट ड्यूटी
आईफोन और आपके बीच की दूरी का सबसे बड़ा कारण आईफोन पर लगने वाला कर है जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है। साल 2020 में जीएसटी लागू होने के साथ ही स्मार्टफोन पर लगने वाले कर में अच्छी-ख़ासी बढ़ोत्तरी की गई थी और इससे आईफोन की कीमतों में भी 5 प्रतिशत तक की बढ़त हुई है। मालूम हो कि साल 2020 में केंद्र सरकार ने स्मार्टफोन पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया था।
इसी के साथ केंद्र सरकार द्वारा स्मार्टफोन पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी को भी बढ़ाकर दोनुगा कर दिया गया है। इम्पोर्ट ड्यूटी के बढ़ने के साथ ही आईफोन की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को भी मिला है जो अब हर बार आईफोन ग्राहकों की जेब को अधिक हल्का करने का काम करेगा। हाल ही में रिलीज़ हुए आईफोन 13 प्रो मैक्स की कीमत में 40 हज़ार रुपये तक की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी देखी गई है। हालांकि अधिक कीमतों के बावजूद बीते साल देश में एप्पल ने अपने आईफोन 12 सिरीज़ की ताबड़तोड़ बिक्री की थी।
भारत में नहीं होता है निर्माण
भारत में आईफोन की कीमत का पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक होने की सबसे बड़ी वजह है कि आईफोन का निर्माण भारत में नहीं होता है और ऐसे में आईफोन के अधिकतर फ्लैगशिप मॉडल भारत से भारत में अन्य देशों से आयात किए जाते हैं। हालांकि एप्पल ने अपने कुछ चुनिन्दा आईफोन की असेंबली भारत में शुरू कर दी है लेकिन उससे आईफोन की कीमतों में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है क्योंकि असेंबली के लिए जरूरी सामान अभी भी बाहरी देशों से भारत में आयात किया जा रहा है।
भारत की बात करें तो यहाँ पर एप्पल के लगभग सभी उत्पाद एक विशाल थर्ड पार्टी रिटेल नेटवर्क, डिस्ट्रिब्यूटरों और वेंडरों के द्वारा देश में बेचे जाते हैं। ये सभी लोग आईफोन की बिक्री के साथ लाभ का अपना हिस्सा भी लेते हैं और इससे आईफोन की कीमत और अधिक हो जाती है।
दिलचस्प है कि आईफोन की कीमत डॉलर में तय होती है और भारत में इसकी बिक्री रुपयों में होती है। ऐसे में डॉलर के सामने कमजोर होता रुपया आईफोन की शुरुआती कीमतों को प्रभावी रूप से बढ़ा सकता है। इन्हीं कारणों के चलते आईफोन भारत की तुलना में अन्य देशों जैसे जापान और यूएई में सस्ता है।
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Edited by रविकांत पारीक