एपल ने आईफोन, आईपैड व अन्य डिवाइस के लिए iOS 15 सॉफ्टवेयर लॉन्च किया

एपल ने iOS 15 सॉफ्टवेयर लॉन्च किया है. यह आईफोन, आईपैड और अन्य डिवाइस के लिए होगा. इसमें खास बात यह है कि यह भारतीय यूजर्स को ध्यान में रखकर डिक्शनरी फीचर अपडेट किया गया है. वहीं, स्मार्ट रिप्लाय में 10 भारतीय भाषा जोड़ी गई हैं. वर्चुअल असिस्टेंट सीरी को भी भारतीय भाषाओं का सपोर्ट मिलेगा.

यह आईफोन 6 एस और उसके बाद की जनरेशन वाले सभी मॉडल में काम करेगा. एंड्रॉइड यूजर्स के साथ फेसटाइम कॉल, एपल मैप्स के लिए अपग्रेड, नया नोटिफिकेशन एक्सपीरियंस, कैमरे में लाइव टेक्स्ट जैसे फीचर्स अनुभव यादगार बना देंगे.
जानिए ऐसे ही कुछ उपयोगी फीचर्स के बारे में…
फेसटाइम सभी यूजर्स के लिए आईओएस यूजर्स एपल के वीडियो कॉलिंग एप फेसटाइम का इस्तेमाल एंड्रॉइड यूजर्स के साथ भी कर सकेंगे. पहले आईओएस और मैक यूजर्स के साथ ही संभव था. नए शेयर-प्ले से यूजर्स दोस्तों के साथ सिंक होकर फिल्म देख सकेंगे, गाने सुन पाएंगे.
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मैसेज पर यूजर्स का नियंत्रण अनजान यूजर द्वारा भेजे जाने वाले प्रचार और विज्ञापनों के मैसेज और नोटिफिकेशन को यूजर चालू या बंद कर सकेंगे. वहीं, कैमरा एप के जरिए यूपीआई के जरिए भुगतान के लिए कोड स्कैन कर सकेंगे. यह हाल में प्रयोग किए 10 यूपीआई एप दिखाएगा.
हैंडराइटिंग की पहचान हो सकेगी इस फीचर से तस्वीर के जरिए ही हैंडराइटिंग की पहचान हो सकेगी. हाथों से लिखे गए यूजर्स के नोट को यह ई-मेल में बदल देगा. टेक्स्ट की तस्वीर लेते ही यह विकल्प देगा कि फोन, ईमेल या मैसेज करना है.
हिंदी, तमिल भी समझेगा सीरी: वर्चुअल असिस्टेंट सीरी अब मिली-जुली अंग्रेजी, हिंदी के अलावा तेलुगु, कन्नड़, मराठी, तमिल, गुजराती, बंगाली, पंजाबी और मलयालम में भी कमांड लेगा. स्मार्ट रिप्लाय में इन भाषाओं के साथ उर्दू और उड़िया को जोड़ा गया है.
फोकस: इससे उन एप को छिपा सकेंगे जो यूजर्स को परेशान करते हैं. इससे यूजर्स नोटिफिकेशन कैसे दिखेंगे, यह तय कर सकेंगे. नोटिफिकेशन की टाइमिंग भी तय कर सकेंगे, यानी काम के दौरान वे स्नूजिंग मोड में रहेंगे, काम खत्म होने के बाद दिखाई देने लगेंगे.
एपल ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जिसके जरिए यूजर्स की मानसिक सेहत पर नजर रखने में मदद मिलेगी. कंपनी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी और बायोटेक फर्म बायोजेन के साथ अपने डिवाइस में सेहत संबंधी सेंसर को ज्यादा प्रभावी बनाने में जुटा है.
प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आईफोन के सेंसर द्वारा लिए गए डाटा का इस्तेमाल मानसिक सेहत से जुड़े डिजिटल संकेतों के लिए किया जाएगा. इनमें चिंता और अवसाद भी शामिल है. चेहरे के भाव, बोलने का तरीका, घूमने-फिरने जाने का पैटर्न, सोने की अवधि, हार्ट और ब्रीदिंग रेट के जरिए यूजर्स के व्यवहार में बदलाव को शुरुआती संकेत माना जाएगा.

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