अखंड साैभाग्य के लिए रखा जाता है ये व्रत, जानें हरतालिका तीज का इतिहास और महत्व

09 Sep, 2021 10:22 PM | Saroj Kumar 3784

हरतालिका तीज भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज आगामी 21 अगस्त को पड़ रही है। उत्तर भारत में इस व्रत को कई अलग-अलग नामों से भी पुकारते हैं। हरतालिका तीज को हरितालिका तीज या फिर तीजा भी कहते हैं।दृकपंचाग के मुताबिक इस दिन महिलाएं भगवान शिव व माता पार्वती की रेत के द्वारा बनाई गई अस्थाई मूर्तियों का पूजन करती हैं और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। हरतालिका तीज की पूजा मूहूर्त में होनी शुभ होती है। पूजन के बाद रात भर जागरण किया जाता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने वर्षों तक जंगल में घोर तपस्या की थी। ऐसे में हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन पर्व के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस व्रत को महिलाएं द्वारा किया जाता है।
हरतालिका तीज का इतिहास
शास्‍त्रों के मुताबिक राजा हिमवान की पुत्री पार्वती जी बचपन से ही भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने तपस्या भी शुरू कर दी थी। इस पर एक दिन नारद जी राजा हिमवान के पास भगवान विष्णु की ओर से विवाह प्रस्‍ताव लेकर पहुंचे लेकिन पार्वती जी ने विष्णु संग विवाह करने से इंकार कर दिया। उन्‍होंने अपनी एक सखी से कहा कि वह सिर्फ भगवान शंकर को ही पति के रूप में स्‍वीकार करेंगी। इसके बाद सहेली की मदद से पार्वती जी घने वन की एक गुफा में कठोर तप शुरू कर दी। यहां उन्होंने रेत के शिवलिंग बनाई थी। कहा जाता है कि जब पार्वती जी ने हस्त नक्षत्र में शिवलिंग की स्थापना की थी तब भाद्रपद शुक्ल तृतीया ही थी। उन्होंने निर्जल व निराहार रहकर रातभर जागरण किया। ऐसे में उनके तप और आराधना से खुश होकर भगवान शिव ने पार्वती जी को मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। इसके बाद पार्वती का विवाह शिव के संग हुआ था।
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज व्रत कुवांरी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं दोनों ही रख सकती हैं। सुहागिन महिलाएं अखंड साैभाग्य पाने के लिए तो कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को कर सकती हैं। उत्तर भारत में हरतालिका तीज व्रत निराहार व निर्जल रखने की परंपरा है। मान्यता है कि एक बार व्रत रखने के बाद इस को जीवन भर रखा जाता है। हालांकि गंभीर रूप से बीमार होेने पर कोई दूसरी महिला या फिर उसका पति इस व्रत को कर सकता है। हरतालिका तीज पर लकड़ी की चौकी पर मिट्टी के शिव-पार्वती व गणेश जी की पूजा की जाती हैं। पूजा के समय सुहाग का सामान, फल पकवान, मेवा व मिठाई आदि चढाई जाती है। पूजन के बाद रात भर जागरण किया जाता है। तीज की रात को जागरण करना विशेष शुभकारी माना जाता है। इसके बाद दूसरे दिन सुबह गाैरी जी से सुहाग लेने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। व्रत के दिन क्रोध आदि बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए।

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