-बड़े बिचड़े की ऊपर से तीन-चार इंच कर दें छंटाई
-खर-पतवार नियंत्रण के लिए करें दवा का छिड़काव जागरण संवाददाता, सुपौल : जिले में समय से पहले मानसून आने के कारण खेतों में नमी संरक्षित हो चुकी है। इसका लाभ उठाकर किसान धान की रोपनी कर रहे हैं। कुछ किसान बिचड़ा तैयार नहीं होने के कारण रोपाई शुरू नहीं कर सके हैं। ऐसे में कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विज्ञानी डा. मनोज कुमार ने धान रोपाई के परंपरागत तरीके को छोड़ आधुनिक विधि अपनाने की सलाह दी है। बुधवार को जिला कृषि कार्यालय में आयोजित किसान गोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिले के अधिकांश हिस्से में बारिश होने से धान की रोपाई आसानी से की जा सकती है वहीं जिन खेतों में पानी नहीं लगा है वहां सिचाई का प्रबंधन कर रोपाई शुरू की जा सकती है। खेतों में चार सेंटीमीटर पानी खेतों में रखें। अच्छी पैदावार के लिए कीचड़ बनाने के समय 15 किलोग्राम फास्फोरस प्रति बीघा डालें। इसके अलावा रोपाई से पूर्व पोटाश दो किलोग्राम तथा जिक सल्फर पांच किलोग्राम प्रति बीघा अवश्य डालें। बिचड़ा बड़ा हो गया हो तो ऊपर से 3 या 4 इंच काटने के बाद ही रोपाई करें। कहा कि रोपाई में पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा कतार की दूरी 10 सेंटीमीटर का ख्याल रखें। इससे कम दूरी होने पर पौधे पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाते हैं जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। इस इलाके में फसल के बेहतर उत्पादन में खर-पतवार एक बड़ा बाधक है। यहां कई ऐसे जंगली घास-फूस हैं जो पौधे के संपूर्ण विकास को रोक देते हैं। इसके लिए किसान धान की रोपाई के सात दिनों के अंदर ब्यूटाक्लोर 30 से 40 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव इतनी ही मात्रा पानी में मिलाकर करें। खर-पतवार अगर फिर उग आते हैं तो रोपाई के 25 से 26 दिनों के अंदर नीमा गोल्ड 650 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना कारगर रहता है। इससे पूर्व सभी किसान व कृषि विज्ञानी का जिला कृषि पदाधिकारी ने स्वागत किया।
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