सुपौल में ट्रामा सेंटर की स्थापना होने से बच सकती दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जान

सुपौल। सरायगढ़ भपटियाही पीएचसी में ट्रामा सेंटर स्थापित होने से ऐसे लोगों की जान बच सकती है। नेशनल हाइवे के बनने के साथ ही स्थानीय लोगों द्वारा पीएचसी सरायगढ़ भपटियाही में ट्रामा सेंटर स्थापना की मांग होती रही है।

ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर को बने लंबा समय होने को है। हाईवे का जब से निर्माण हुआ तब से दुर्घटना की रफ्तार काफी तेज हो गई है। आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है और उसके शिकार लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरायगढ़ भपटियाही लाए जाते हैं जो नेशनल हाइवे के ठीक बगल अवस्थित है। बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए सरायगढ़ भपटियाही में ट्रामा सेंटर स्थापित करने की मांग लंबे समय से होती रही है लेकिन आज तक ट्रामा सेंटर की स्थापना नहीं की गई। इससे दुर्घटना के शिकार लोगों की जान जाती रहती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सरायगढ़ भपटियाही से एक लाख से अधिक आबादी जुड़ी है। प्रखंड क्षेत्र के अलावा निर्मली किशनपुर सहित कुछ अन्य जगहों के भी मरीजों को यहां लाया जाता है। ट्रामा सेंटर नहीं होने के कारण प्राथमिक उपचार के बाद दुर्घटना के शिकार लोगों को जिला मुख्यालय सुपौल भेजा जाता है और वहां से फिर कई मरीजों को दरभंगा पटना आदि जगहों के लिए रेफर किया जाता है। कई बार तो समय पर उपचार नहीं होने के कारण पीएचसी सरायगढ़ भपटियाही से सुपौल के लिए रेफर होने के बाद रास्ते में ही मरीज दम तोड़ देते हैं।

लोगों का कहना था कि जिदगी और मौत से जूझने वाले मरीजों को ट्रामा सेंटर होने से तुरंत लाभ मिल सकता है और उसकी जान भी बच सकती है। जानकारी अनुसार ट्रामा सेंटर के लिए विभागीय स्तर पर कुछ पहल भी हुई लेकिन बाद में वह यथावत रह गई। जिले के निर्मली से लेकर प्रतापगंज के बीच हाइवे के बगल में कहीं ट्रामा सेंटर नहीं बन सका। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पीएचसी सरायगढ़ भपटियाही में ट्रामा सेंटर बना दिया जाए तो अधिकांश लोगों को समय से उपचार मिलेगा और उसकी जान बच सकती है। ट्रामा सेंटर समय की मांग है और इसे बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को तत्काल पहल करनी चाहिए। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस समस्या के निदान के लिए प्रयास करें तो जल्द से जल्द ट्रामा सेंटर स्थापित हो सकता है।
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