चैत्र नवरात्र के सातवें दिन सोमवार को देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना कर समस्त विघ्न-बाधाओं को दूर करने की कामना की गयी। सप्तमी तिथि के बाद शाम छह बजकर 48 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू होने के कारण उपासकों ने रात्रि में निशा पूजा भी की। माता से अभिष्ट सिद्धि की कामना की। मंगलवार को श्रद्धालु अष्टमी का उपवास रखेंगे। कोई निराहार तो कोई फलाहार रहकर अष्टमी के व्रत को पूरा करेगा। वहीं बुधवार को नवरात्र के अंतिम दिन पंडितों को बुलाकर श्रद्धालु हवन व पुर्णाहूति करेंगे।