नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मानवाधिकार के मामले में पड़ोसी देशों में हिंदुओं की हालत चिंताजनक है। इसमें बांग्लादेश और पाकिस्तान में स्थिति बेहद खराब है। बांग्लादेश में जहां हर दिन 632 हिंदू देश छोड़ रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी सिर्फ 1.65 फीसद बची है। यह दावा सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स (सीडीपीएचआर) की रिपोर्ट में किया गया है। सीडीपीएचआर ने शुक्रवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में यह रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक भारत के सात पड़ोसी देशों तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मलेशिया, इंडोनेशिया व श्रीलंका में मानवाधिकारों को लेकर एक शोध किया गया है। इसमें इन देशों में नागरिक समानता, उनकी गरिमा, न्याय और लोकतंत्र के आधार पर जानकारी जुटाई गई है। रिपोर्ट को शिक्षाविद्, अधिवक्ता, न्यायाधीश, मीडियाकर्मी और शोधार्थियों के एक समूह ने तैयार किया है। इसमें सामने आया है कि भारत के पड़ोसी देशों में हिंदुओं की आबादी कम हो रही है। खासकर बांग्लादेश और पाकिस्तान में स्थिति बहुत ही खराब है।
सीडीपीएचआर के मुताबिक, यहीं पर हिंदुओं की आबादी कम होने का एक प्रमुख कारण यह है कि इन दोनों देशों में अल्पसंख्यकों के लिए कोई मंत्रालय नहीं है। इसलिए यहां इनके हितों की रक्षा नहीं होती है। सीडीपीएचआर की निदेशक प्रेरणा मल्होत्रा ने कहा कि पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश इस्लामिक देश नहीं है, लेकिन फिर भी वहां अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं रह सकते। 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ था तब पाकिस्तान में 12.5 फीसद हिंदू थे। उसमें से अकेले 23 फीसद बांगलादेश में थे। ये डाटा 1951 का है, आज 2011 का डेटा देखते हैं तो आठ फीसद हिंदू बचे हैं। हर रोज 632 हिंदू बांग्लादेश छोड़ रहे हैं।
इस तरह 30 साल बाद बांग्लादेश में कोई हिंदू नहीं बचेगा। कार्यक्रम में केंद्रीय तिब्बत एडमिनिस्ट्रेशन सिकयोंग के अध्यक्ष लोबसांग संगे, पूर्व मुख्य न्यायाधीश व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन केजी बालाकृष्णन, एसआरएम यूनिवर्सिटी के कुलपति परमजीत सिंह जसवाल भी बतौर मुख्य वक्ता मौजूद रहे।