सभी 12 पूर्णिमा तिथि में दिव्य संतों का हुआ अवतरण

बक्सर : कार्तिक पूर्णिमा सोमवार को है। साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश केसरी पवननंदन के अनुसार साल की सभी बारहों पूर्णिमा को किसी न किसी संत का अवतरण हुआ है। जहां, श्रीहरि विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा को मत्स्य यानी मछली के रूप में प्रथम अवतार लिया था। वहीं, गुरु नानक जयंती भी है। मनीषियों के मुताबिक यह पूर्णिमा शैव व वैष्णव दोनों ही संप्रदायों के लिए खास है। कहते हैं कि इस दिन शिव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। तब देवताओं ने खुशियों के दीप जलाए थे। हिन्दू धर्म में यह दिन उत्सव का है। पूर्व के अनुभवों के अनुसार इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाने उमड़ते हैं। श्रद्धालुओं के स्नान करने का यह सिलसिला ब्रह्मामुहूर्त से ही जारी हो जाता है।


वैसे तो धार्मिक स्थल होने के नाते बक्सर में प्रत्येक तीज-त्योहार व मांगलिक कार्य को लेकर दूरदराज से घाट पर आस्थावानों की भीड़ उमड़ती रही है। यह अलग बात है कि कोरोना संक्रमण को लेकर वैशाखी पूर्णिमा व अन्य कई अवसरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा स्नान को नहीं उमड़ सकी। परंतु, वैशाखी पूर्णिमा के साथ-साथ कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या आदि ऐसे पर्व हैं जब श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ में शहर की सड़कें भी कराहने लगती हैं।
स्नान-दान, तप-व्रत का विशेष महत्व
आचार्यों ने कहा कि पुराणों में इस दिन में स्नान दान, तप व्रत को मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी माला और गुलाब का फूल चढ़ाने से मन की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पातालेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी रामेश्वर नाथ पंडित ने बताया कि महादेव को इस दिन धतूरे का फल वह भांग चढ़ाने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन तिल स्नान का भी महत्व है, इससे शनि दोष समाप्त होता है। वहीं, कुंडली में पितृ दोष, नन्दी दोष आदि की स्थिति में शांति मिलती है।
दिन ढले गंगा किनारे जलते हैं खुशियों के दीये
कार्तिक पूर्णिमा को पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ दीपदान का भी विशेष महत्व है। धर्माचार्यों के अनुसार इस दिन दीप का दान करके ग्रहों की समस्या को दूर किया जा सकता है। इसे लेकर दिन ढले गंगा किनारे खुशियों के दिए जलाने हेतु काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस अवसर पर देव दीपावली महोत्सव समिति द्वारा भी भव्य तरीके से कार्यक्रम का आयोजन होते रहा है। घाटों पर सवा लाख दीए जलाए जाने के साथ-साथ प्रमुख घाटों पर मां गंगा की आरती भी की जाती है। किसी-किसी घाटों पर भजन कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। इसमें कई संस्थाएं संलग्न रहती है। इस बाबत समिति के सचिव पंकज मानसिंहका ने बताया कि कोरोनाकाल को देखते हुए कार्यक्रम को विस्तृत रूप देना तो सम्भव नहीं है। लेकिन, घाट किनारे दीए जलें इसके लिए जल्द ही एक बैठक आयोजित कर रूपरेखा तैयार कर ली जाएगी। किस पूर्णिमा को कौन से संत ने लिया अवतरण
चैत्र पूर्णिमा - भगवान महावीर (जैन धर्म)
वैशाख पूर्णिमा - भगवान बुद्ध
ज्येष्ठ पूर्णिमा - संत कबीर
आषाढ़ पूर्णिमा - भगवान वेदव्यास
सावन पूर्णिमा - लव, कुश
भादो की पूर्णिमा - अनंत भगवान
आश्विन पूर्णिमा - महर्षि बाल्मीकि
कार्तिक पूर्णिमा - गुरु नानक
अगहन की पूर्णिमा - भगवान दत्तात्रेय
पौष की पूर्णिमा - शाकंभरी
माघी पूर्णिमा - संत रविदास
फागुनी पूर्णिमा - महाप्रभु चैतन्य
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