जागरण संवाददाता, सासाराम : रोहतास। क्रय केंद्र पर किसानों को धान बेचने में कई पेच सामने आ रहे हैं। सबसे बड़ा बाधक ऑनलाइन भू-अभिलेख बन रहा है, जिसके आधार पर अधिप्राप्ति को ले निबंधन कराने वाले किसानों के दस्तावेजों को सत्यापन करने में कर्मियों व अधिकारियों के पसीने छूटने लगे हैं। ऑनलाइन हुए भू-अभिलेखों में बड़े पैमाने पर हुई त्रुटि को आज तक विभागीय अधिकारी दूर नहीं कर सके हैं। जिसका खामियाजा असल रैयत किसानों को भुगतना पड़ रहा है। यही नहीं कई का रकबा शून्य कर दिया गया है और उनसे लगान भी वसूलने का काम किया जा रहा है।
अंचल कार्यालय में पूर्व से उपलब्ध रजिस्टर टू में रैयत किसान का नाम कुछ और है तो ऑनलाइन भू-अभिलेख में कुछ और। यही नहीं भूमि का ब्योरा भी बदल दिया गया है। त्रुटि को सुधारने के लिए किसानों ने संबंधित अंचल कार्यालयों में आवेदन भी दिए, लेकिन उसपर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। दो दिन पूर्व धान अधिप्राप्ति को लेकर हुई बैठक में पैक्स व व्यापार मंडल अध्यक्षों ने ऑनलाइन भू-अभिलेख में व्याप्त विसंगति का मामला उठा अधिकारियों को सकते में डाला। जिसपर अधिकारी संयुक्त रूप से इस समस्या का समाधान निकालने का आश्वासन तो दिया है लेकिन मौजूदा व्यवस्था में सुधार होना असंभव दिखता है। दिनारा प्रखंड के पिथनी गांव की रहने वाली सुंदरी कुंवर को अंचल कर्मियों ने ऑनलाइन भू-अभिलेख में पूरी तरह से भूमिहीन बना दिया है, जबकि मैनुअल रसीद में उसके पास तीन डिसमिल जमीन अंकित है। ऐसे कई अन्य किसान भी है जो इस समस्या को लेकर परेशान हैं।
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