बक्सर : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना गांव के मजदूरों को रोजगार देने की गारंटी सुनिश्चित करता है, लेकिन राजपुर में इस योजना से मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। प्रखंड में इस समय यह योजना बिल्कुल बंद पड़ी हुई है। दशहरा के पहले से ही इस योजना के बंद होने से गांव में रहने वाले मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। रोजी-रोटी की तलाश में दर्जनों मजदूर गांव छोड़कर पंजाब, राजस्थान, सूरत, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता सहित अन्य जगहों पर पलायन कर रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि कुछ जगहों पर काम तो चल रहा है, लेकिन उसमें रोजगार का सृजन नहीं हो रहा है। शायद ही कोई पंचायत होगा जिस पंचायत में जेसीबी मशीन से काम नहीं होता है। गांव में निजी और सरकारी पोखरा की खोदाई और सड़कों के निर्माण सहित खेतों की सिचाई करने के लिए करहा की सफाई के कार्यों में मजदूरों के बदले मशीनों से खुलेआम काम कराया गया। सरकारी आंकड़े के अनुसार लॉकडाउन में लगभग 8000 से अधिक मजदूर अपने गांव आए थे। इसके लिए सरकार काम देने के लिए योजना बना रही थी। तब तक इन मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या हो गई। पुन: यह मजदूर अपने परिवार के साथ बाहर चले गए। फिलहाल कोई ऐसा गांव नहीं है जिस गांव से 200 से ढाई सौ मजदूर बाहर न गए हो। जबकि, मनरेगा योजना में काम के लिए पंचायतवार लॉकडाउन के दौरान भी कुछ मजदूरों का निबंधन कराया गया। फिर भी इन मजदूरों को कोई काम नहीं मिला। इस संबंध में जानकारी के लिए प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी अजय कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने आंकड़े उपलब्ध नहीं होने की बात कह कुछ भी जानकारी देने से हाथ खड़े कर दिए।
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