इस्लामाबाद। पाकिस्तानी कोर्ट ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए 10 ग्राम चरस पीने और उसे रखने को कानूनी मान्यता दिलाने की अपील खारिज कर दी है। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने बड़ी अदालत में अपील करने का फैसला किया है। याचिकाकर्ता ने दावा है कि चरस पीने से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है। उन्होंने अपनी अपील में कई देशों में हुए वैज्ञानिक सर्वे का भी हवाला दिया है। अभी तक किसी भी शोध में यह साबित नहीं हुआ है कि चरस पीने से कोरोना वायरस का इलाज संभव है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर जाहिर की नाराजगी सिंध हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता गुलाम असगर सेन की इस याचिका पर कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिका दायर करने का कोई मतलब नहीं है। हम इस तरह की याचिका के सुनवाई के लिए नहीं बैठे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि हर कोई चरस पीना शुरू कर दे? कोर्ट ने बताया अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मजहर ने कहा कि आपको वास्तव में कहीं अधिक ऊंचे कोर्ट में अपील करने की जरूरत है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने जुर्माने से बचने के लिए दलील देते हुए प्रार्थना की कि वह एक गरीब आदमी है और उसने याचिका को बड़े जनहित में दायर किया है। इस पर जस्टिस मजहर ने जवाब दिया कि तब एकमात्र संभव तरीका सिंध हाईकोर्ट की उच्च बेंच में या फिर संयुक्त याचिका के जरिए अपील करना है। कोर्ट ने कहा, जहां वैध है वहां जाकर पीएं चरस कोर्ट ने कहा कि अगर आप चरस को पीना चाहते हैं तो यह आप उन देशों में जाकर पी सकते हैं, जहां यह वैध है। यह हमारी अदालत के सीमाओं के बाहर है कि हम ऐसा कोई फैसला दें। कानूनी रूप से यह हमारे अधिकारक्षेत्र के बाहर का मामला है। इसके बाद कोर्ट ने उनकी याचिका को बिना सुनवाई के ही खारिज कर दिया। उच्च कोर्ट में अपील करने की तैयारी याचिकाकर्ता गुलाम असगर ने कोर्ट के बाहर मीडिया से बताया कि वह उच्च बेंच में अपील करने जा रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने कई देशों में चरस के किए जा रहे सेवन का उल्लेख भी किया है। हालांकि, अभी तक किसी भी शोध में यह साबित नहीं हुआ है कि चरस पीने से कोरोना वायरस का इलाज संभव है। -एजेंसियां