नई दिल्ली। हर ग्रहणी अपनी किचन में घी या रिफाइंड आयल का प्रयोग करती है। लेकिन इन दोनों में से कौन बेहतर है जो स्वाद भी बढ़ा दे और स्वास्थ को भी नुकसान नहीं दे।
किचन में काम करते हुए अक्सर दिमाग हमारे खाने के पोषक तत्वों और गुणवत्ता की ओर चला ही जाता है। अगर आप भी पकौड़े तलते हुए ये सोच रही हैं कि यह तेल आपकी सेहत पर क्या प्रभाव डालता है, तो जवाब है कि घी और रिफाइंड ऑयल में से क्या है आपके और आपके परिवार की सेहत के लिए बेहतर।
यह सवाल हर किसी के मन में है कि वो जो फैट ले रहे हैं वह अच्छा है या बुरा। अब तक फैट को डाइट का दुश्मन और मोटापे का कारण मान लिया जाता था। यही कारण है कि फैट विलेन की भूमिका में आ गया था और लोगो ने फैट के सभी स्रोतों को अपनी डाइट से बाहर कर दिया। मगर हाल ही में फैट का महत्व लोगों को समझ आया है और गुड फैट यानी हेल्दी फैट डाइट में वापस लौट रहे हैं।
अगर आप फिटनेस के प्रति जागरूक हैं, तो आपने सुना होगा। एवोकाडो से लेकर मछली और अंडों में हेल्दी फैट होता है। आसान भाषा में कहें, तो फैट दो प्रकार के होते हैं- सैचुरेटेड और अनसैचुरेटेड। सैचुरेटेड फैट आपके दिल के लिए फायदेमंद होते हैं। वहीं अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल और इंफ्लामेशन बढ़ाते हैं और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
यह तो आप जानती ही होंगी कि घी दूध से बनता है। दूध को मथकर फैट निकाला जाता है जिसे मक्खन कहते हैं। इस मक्खन को उबालकर इसका पानी खत्म कर दिया जाता है और शुद्ध रूप में हमें मिलता है घी। घी में लैक्टोज नहीं होता इसलिए लैक्टोज इंटोलेरेंट लोग भी घी का प्रयोग कर सकते हैं।
घी में सैचुरेटेड फैट होता है जो घी को शरीर के लिए फायदेमंद बनाता है। इसके साथ ही घी में कंजुगेटेड लिनोलिक एसिड होता है, जो घी को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बनाता है। घी गट हेल्थ के लिए अच्छा होता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित रिव्यू के अनुसार घी फैट का सबसे हेल्दी रूप है। इसमें ब्यूटाइरेट होता है जो पाचनतंत्र को दुरुस्त रखता है। साथ ही घी में विटामिन ए, ई और विटामिन के होते हैं। इसके अतिरिक्त घी सेलेनियम, आयोडीन और फैटी एसिड्स का अच्छा स्रोत है।
लेकिन हम आपको बता दें, घर का बना शुद्ध घी ही फायदेमंद होता है। बाजार के घी को प्रोसेस किया जाता है जिससे उसकी गुणवत्ता काफी कम हो जाती है।
रिफाइंड तेल कई अलग अलग सीड्स से प्राप्त हो सकता है। जैतून का तेल, सोयाबीन तेल, सनफ्लॉवर ऑयल और मूंगफली का तेल इसके कुछ उदाहरण हैं। इसलिए सभी तेलों की अलग-अलग खूबियां होती हैं।
रिफाइंड तेल पॉली अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स से लैस होते हैं, जो इंफ्लामेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
तेल का स्मोकिंग पॉइंट ज्यादा होता है यानी इसे अधिक गर्म तापमान पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यही कारण है कि तलने के लिए तेल का ही प्रयोग होता है।
सेलेब्रिटी शेफ और नूट्रिशनिस्ट तरला दलाल मानती हैं कि कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाए तो कोई भी तेल हानिकारक नहीं है। पर जब अत्यधिक इस्तेमाल करेंगी तो हर तेल हानिकारक होगा।
बाजार में फोर्टिफाइड तेल मौजूद हैं जिनमें विटामिन्स और मिनरल्स अलग से मिलाए जाते हैं।
हर तेल बराबर रूप से फायदेमंद नहीं है। अगर आप फोर्टिफाइड रिफाइंड तेल का इस्तेमाल करती हैं, तो यह फायदेमंद है।
घी का प्रयोग तलने के लिए नहीं करना चाहिए क्योंकि उसका स्मोकिंग पॉइंट कम है। दाल, रोटी या छौंक में घी का इस्तेमाल करें जबकि तलने, भूनने के लिए नारियल, सरसों, सोयाबीन या मूंगफली के तेल का इस्तेमाल करें। ताड़ के तेल का इस्तेमाल करने से बचें।
याद रखें, आप बिना घी-तेल का भोजन करने के बाद भी अगर कोई एक्सरसाइज नहीं करते हैं, तो यह उतना ही अनहेल्दी है। आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छे भोजन के साथ-साथ एक्सरसाइज भी जरूरी है।