यह भी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं. और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं
करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियों को हाथों में मेहंदी लगानी चाहिए और सोलह श्रृंगार करना चाहिए. पूजा के लिए एक मिट्टी की वेदी पर देवी-देवताओं की स्थापना की जाती है और चांद निकलने से पहले पूजा कर लेनी चाहिए. करवा चौथ व्रत का प्रारंभ सूर्योदय से पहले ही हो जाता है.
करवा चौथ के व्रत में सरगी ग्रहण करने की परंपरा है. सरगी करवा चौथ के व्रत में सुबह दी जाती है. करवा चौथ के व्रत में सारगी का विशेष महत्व बताया गया है. सुहागिन महिलाएं सास से मिली सरगी खाकर व्रत की शुरूआत करती हैं.
पूजा समाप्त करने से पहले करवा चौथ की कथा भी सुननी चाहिए. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से पानी पीने के बाद ही करवा चौथ का व्रत खोलना चाहिए
पांचांग के अनुसार शाम 5 .34 बजे से शाम 6.52 मिनट तक करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त बना है. जबकि करवाचौथ उपासना का समय सुबह 6.35 बजे से 8.12 बजे तक रहेगा.