बक्सर : बक्सर-कोचस मार्ग पर बालू लदे ओवरलोड ट्रकों का परिचालन धड़़ल्ले से हो रहा है। बावजूद, उसे रोकने या टोकने वाला कोई नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब बालू लदे ओवरलोड ट्रकों के परिचालन पर लगाम लगेगी। ट्रकों के परिचालन से मुख्य सड़कें बद से बदतर हो जा रही है। सड़कों की हालत दयनीय हो गई है। सबसे बड़ी बात कि इससे प्रतिदिन राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। बावजूद संबंधित विभाग एवं अधिकारियों को समस्या नहीं दिखाई दे रही है।
बताया जाता है कि खनन विभाग द्वारा यह निर्देश जारी किया गया है कि ओवरलोड वाहनों का परिचालन नहीं होना चाहिए लेकिन न परिवहन विभाग को इसकी फिक्र है और न ही खनन विभाग अपनी जिम्मेवारी निभा रहा है। नतीजा यह हो रहा है कि प्रतिदिन बालू लदे ओवरलोड ट्रकों का परिचालन हो रहा है। कभी-कभार प्रशासन निर्देश जारी करता है तो इक्का-दुक्का वाहन पकड़ अपनी जिम्मेवारी निभा दी जाती है। जिसका नतीजा पदाधिकारी के जाने के बाद फिर वही ओवरलोड परिचालन की प्रक्रिया जारी हो जाती है। प्रतिदिन ओवरलोड ट्रकों के चलने से जहां सासाराम-कोचस-बक्सरमार्ग पूरी तरह से जगह-जगह गड्ढे में तब्दील हो गया है। वहीं, जलहरा से कुसुरूपा तक लगभग 8 किलोमीटर सड़क पूरी तरह से टूट गई है। इस रास्ते से गुजरने वाले ट्रक प्रतिदिन उस गड्ढे में फंस जाते हैं। जिससे लगभग 2 से 3 किलोमीटर की दूरी में गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती है। इस जाम से छोटी गाड़ियों को गुजारना मुश्किल हो जाता है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहती है। इस सड़क से दिन-प्रतिदिन प्रशासनिक अधिकारी और प्रतिनिधि भी गुजरते हैं। फिर भी इन गड्ढों को भरकर बनाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है। गौरतलब हो कि जिले का खनन विभाग उधार के अधिकारी पर निर्भर है। वही परिवहन विभाग के मोटर वाहन अधिकारी भी उधार पर है। ऐसे में ओवरलोडिग पर लगाम लगाना मुश्किल है। विगत 1 वर्ष पूर्व से कर्मनाशा नदी पर यूपी बिहार को जोड़ने वाला जर्जर देवल पुल तीन इंच नीचे धंसा हुआ है। उसी पुल से सभी ओवरलोड ट्रकों को पार कराया जाता है। जिससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
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