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नई दिल्ली. मथुरा के नंदबाबा मंदिर में नमाज पढ़ने का विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है, तो इसी बीच मंदिर में नमाज पढ़ने वाले और खुदाई खिदमतगार संगठन से जुड़े फैसल खान ने इस विवाद पर अपना राय रखी है. फैसल खान ने अपनी राय रखते हुए कहा कि 'वह कई दिनों की यात्रा पर थे. इस यात्रा का मकसद हिन्दू-मुस्लिम एकता था. हम अपने साथियों के साथ मंदिर में जा रहे थे. लोगों से एकता की बात कर रहे थे.'
फैसल खान ने आगे बताया कि 'इसी तरह नंदबाबा के मंदिर में भी गए थे. जब नमाज़ का वक्त हो गया तो मंदिर के लोगों ने ही हमें नमाज़ पढ़ने के लिए जगह दी. उसके बाद खाना भी खिलाया. इसके बाद हम लोग वापस दिल्ली आ गए. इसके तीन दिन बाद विरोध शुरू हो गया.' और इसके बाद ही फैसल खान को पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया था.
खबरों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मथुरा के नंदगांव स्थित नंद भवन मंदिर में नमाज पढ़ने की वजह से सोमवार को मथुरा पुलिस ने फैसल खान को दिल्ली के जामिया नगर से गिरफ्तार कर लिया गया है. मंदिर के सेवायत कान्हा गोस्वामी की तहरीर पर बरसाना पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ IPC की धारा 153A, 295, 505 के तहत केस दर्ज किया है. जिनके विरुद्ध मामला दर्ज हुआ है उनमें नमाज पढ़ने वाले दोनों मुस्लिम युवकों फैसल खान और मोहम्मद चांद के नाम भी शामिल हैं. पुलिस मामले की जांच कर रही है. मंदिर में नमाज पढ़ने का मामला 29 अक्टूबर का है.
जानें, कैसे हुआ विवाद...
कौमी एकता मंच के सदस्य वकील मधुवनदत्त चतुर्वेदी ने मंदिर में नमाज पढ़ने की तस्वीर को फेसबुक पेज पर पोस्ट करने के बाद अपनी सफाई में कहा कि 'वो व्यक्तिगत रूप से दिल्ली की एक संस्था खुदाई खिदमतगार के सदस्य फैसल खान, मोहम्मद चांद और गांधीवादी कार्यकर्ता निलेश गुप्ता व आलोक रत्न को जानते हैं. 29 अक्टूबर को यह चारों लोग चौरासी कोस यात्रा के लिए दिल्ली से साइकिल चलाकर नंदगांव पहुंचे थे.'
उन्होंने आगे बताया कि 'दोपहर दो बजे जोहर की नमाज का वक्त होने पर वो नंद महल मंदिर में थे. फैसल खान और मोहम्मद चांद ने मंदिर में ही नमाज पढ़ी. उन्होंने फैसल खान का पक्ष लेते हुए कहा कि उन्होंने उन्हें बताया कि पुजारी से बात होने के बाद ही उन्होंने मंदिर में नमाज पढ़ी थी.'