नई दिल्ली, 2 नवंबर (आईएएनएस)। लगातार कई राज्यों की यात्रा के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चारों ओर सुरक्षा घेरा कड़ा कर दिया गया है। एक पुलिस अधिकारी, जिसने स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) के साथ काम किया था और प्रधान मंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था, अब पीएम के बाहरी सुरक्षा घेरा की जिम्मेदारी संभालेगा।तालमेल की कमी और एसपीजी की व्यापक जरूरत पीएम की सुरक्षा में किए गए परिवर्तनों के पीछे एक मुद्दा रहा है। दूसरा कारण एसपीजी अधिनियम, 1998 में संशोधन था, जिससे मैनपावर में कटौती हुई।
सूत्र ने कहा कि जारी निर्देश के मुताबिक, एसपीजी के अनुभव वाले पुलिस अधिकारियों को पीएम की राज्यों के दौरे के दौरान सुरक्षा के लिए तैयार किया जाना चाहिए।
निर्देशों में कहा गया है कि एसपीजी को केवल प्रधानमंत्री के आसपास की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, जबकि पीएम की सुरक्षा के बाहरी पहलू की जिम्मेदारी राज्य की है, जिसमें पूर्व एसपीजी और अन्य प्रशिक्षित कर्मी होने चाहिए।
इसके अलावा, निर्देशों में यह भी कहा गया है कि एसपीजी में प्रतिनियुक्ति पर जाने वाले पुलिस अधिकारियों के लिए एक महीने का प्रशिक्षण कोर्स आयोजित किया जाना चाहिए।
केरल कैडर के 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी अरुण कुमार सिन्हा मार्च 2016 से एसपीजी के प्रमुख के रूप में काम कर रहे हैं। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने सिन्हा के कार्यकाल को 30 जुलाई, 2021 तक बढ़ा दिया था।
पिछले साल, केंद्र सरकार ने एसपीजी अधिनियम, 1988 में संशोधन किया था, जिसके मुताबिक, एसपीजी सुरक्षा कवर केवल प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद पांच साल की अवधि तक ही प्रदान किया जाएगा।
पिछले साल से केंद्र सरकार ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी - जो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के परिवार के सदस्य हैं, को एसपीजी के स्थान पर ेकेंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) द्वारा सुरक्षा प्रदान की।
अधिनियम में संशोधन के बाद, एसपीजी ने 200 से अधिक कर्मियों को उनके पूर्व के बलों में वापस जाने का आदेश दिया था।
लगभग 4,000 कमांडो वाला एसपीजी अब केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुरक्षा दे रहा है और ये अपने पूर्व के मैनपावर से लगभग 60 प्रतिशत कम के साथ काम कर रहा है।
एसपीजी का गठन 1985 में किया गया था और इसका पूरा फोर्स सीएपीएफ, राज्य पुलिस इकाई और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से आता है।
31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षा गार्डो द्वारा हत्या के बाद देश के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एक अलग बल की जरूरत महसूस की गई थी।
-आईएएनएस
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