आगरा। राजकीय बालगृह (शिशु) में तीन शिशुओं की मौत मामले में सोमवार की सुबह मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) जे. रीभा जांच के लिए पहुंचीं हालांकि अभीतक तीनों बच्चों की मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी। विस्तृत जांच के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) से मेडिकल रिपोर्ट मांगी गई । यह रिपोर्ट सीडीओ के माध्यम से जिलाधिकारी को भेजी जाएगी। साथ ही राजकीय बालगृह (शिशु) में रहने वाले बच्चों की देखभाल के लिए एक स्थाई स्टाफ नर्स की नियुक्त की जाएगी।
जिलाधिकारी प्रभु एन. सिंह ने सीडीओ जे. रीभा को बालगृह की जांच के आदेश दिए थे। सोमवार सुबह सीडीओ और स्वास्थ्य विभाग टीम सिरौली स्थित बालगृह पहुंची।
सीडीओ जे रीभा ने बताया कि नवजात बच्चों के कक्षों में साफ-सफाई बेहतर करने के निर्देश दिए हैं। सर्दी से बचाव के इंतजाम किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि तीन बच्चों की मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम हुआ था। सीएमओ से रिपोर्ट मांगी है।
उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत की वजह स्पष्ट हो सकेगी। बच्चों की देखभाल और खानपान की व्यवस्थाएं और बेहतर करने के निर्देश दिए हैं। नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए एक स्थाई स्टाफ नर्स की नियुक्ति स्वाथ्य विभाग से कराई जा रही है।
दो शिशु दिव्यांग, पांच कमजोर
सीडीओ ने बताया कि बालगृह में 0 से 5 साल के 12 बच्चे हैं। इनमें 2 दिव्यांग हैं, जबकि पांच कमजोर हैं। पांच शिशु पूरी तरह स्वाथ्य हैं। सभी बच्चों का टीकाकरण हो चुका है। अधीक्षक ने दूध और पोष्टिक आहार खरीद के रजिस्टर दिखाए हैं। जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी जाएगी।
गौरतलब है कि आगरा के राजकीय बालगृह (शिशु) सिरौली में दो दिन के अंदर तीन नवजात बच्चों की मौत हो गई। बालगृह प्रबंधन इस मामले को सप्ताहभर से दबाए हुए था। शनिवार को इस मामले का खुलासा हुआ तो प्रशासन में हड़कंप मच गया।
24-25 अक्तूबर को चार माह की बच्ची सुनीता ने बालगृह से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया, जबकि तीन माह की नवजात प्रभा भर्ती होने के 24 घंटे और दो माह की अवनी की भर्ती होने के चार घंटे बाद जान चली गई। इन बच्चों को उपचार के लिए पहले जिला अस्पताल भेजा गया। बाद में एसएन मेडिकल कालेज रेफर किया गया। महज 48 घंटे के अंदर तीन शिशुओं की मौत से बालगृह में मासूमों की देखभाल और पोषण पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
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