नई दिल्ली। यदि आप किसान है तो यह खबर आपके बहुत काम की है। दरअसल, आज से ही किसान भाई रबी की सर्वोत्तम फसलों में से एक गेहूं की बुआई शुरू कर देवे।
मधुमेह को भगाता है काला गेहूं दरअसल, आपकी जानकारी हेतु बता दें कि खेतों में पैदा वाला काला रंग का गेहूं मधुमेह की सबसे बड़ी दवा है। यही काला गेहूं मधुमेह के रोगियों की पाचनशक्ति में वृद्धि करने संग ही शरीर में एक अलग प्रकार के शक्तिवर्द्धक एंजाइम्स उत्पन्न करता है।
शोधित बीज से बढ़ेगी पैदावार भारत के वैज्ञानिकों की माने तो, पारंपरिक बीज से अलग काले गेंहू का शोधित बीज अपनाएंगे तो निश्चित रूप से उपज संग कमाई में भी वृद्धि होने के आसार ज्यादा हैं। हिंदुस्तान के किसान काला गेहूं की बंपर खेती करके नोट पीट रहे हैं। कृषि अधिकारी की माने तो, ये गेहूं मधुमेह वाले लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद है। मौजूदा वक्त में यूपी के अनेक जिलों में धीरे-धीरे काला गेहूं की फसल की बुवाई का क्षेत्रफल बढ़ रहा है।
30 नवंबर से पूर्व करें बुआई कृषि वैज्ञानिकों के मुताबक, मौजूदा समय काला गेहूं खेती हेतु काफी उपयुक्त है, क्योंकि इसकी खेती के लिए खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। किसान 30 नवंबर तक की इस गेहूं की बुवाई सरलता से कर सकते हैं। यदि इसकी बुवाई में आपने देरी की तो फसल की पैदावार में कमी आ जाती है।
अधिकतम 6000 रुपये क्विंटल बाजार में बिकता है काला गेहूं बता दें कि यूपी के रायबरेली में बीते वर्ष महज 8 किसानों ने काले गेहूं की खेती की थी, परन्तु इस वर्ष लगभग करीब 100 से अधिक किसानों ने काला गेहूं की बुआई की तैयारी प्रारंभ कर दी है। इसकी खेती की विशेषता यह है कि फसल का न सिर्फ उत्पादन अधिक होता है, बल्कि यह बाजार में 4,000 से 6,000 हजार रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर बिकता है।
कैसे करें बुआई? कृषि वैज्ञानिकों की माने तो, किसानों को काला गेहूं की बुआई सीडड्रिल से करनी चाहिए। ऐसा करने से उर्वरक एवं बीज की अच्छी बचत की जा सकती है। काला गेहूं का उत्पादन सामान्य गेहूं जैसे ही होता है। इसकी पैदावार 10 से 12 क्विंटल प्रति बीघे होती है।