सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के अनमोल विचार

व्यक्ति अपने विचारों के सिवाय कुछ नहीं है, वह जो सोचता है, वह बन जाता। इस अनमोल विचार के माध्यम से महात्मा गांधी कहां चाहते हैं कि व्यक्ति अपने जीवन में वही बन पाता है जो उसके दिलो-दिमाग पर चलता है यानी अगर वह जो भी जीवन में करने के बारे में सोचता है व्यक्ति का चरित्र और उसका व्यक्तित्व उसके अनुसार ही बन जाता है इसलिए व्यक्ति को हमेशा इस बात का ध्यान देना होगा कि उसे अपने मन में किस प्रकार के विचारों को लाना है और किस प्रकार के विचारों को नहीं है तभी जाकर वह अपने जीवन में सफल और आगे बढ़ पाएगा।

कमजोर कभी क्षमाशील नहीं हो सकता है। क्षमाशीलता ताकतवर की निशानी है। इस अनमोल विचार के माध्यम से महात्मा गांधी कहना चाहते हैं कि अगर व्यक्ति अपने जीवन में काफी कमजोर या गरीब है तो वह क्षमाशील नहीं हो सकता है क्योंकि इस प्रकार के व्यक्ति समाज में काफी अपमानित और उन पर अनेकों प्रकार के चार लोगों के द्वारा किए जाते हैं जिसके कारण उनके मन में हमेशा क्रोध और बदले की भावना होती है इसके अलावा क्षमाशील ताकतवर की निशानी होती है और ऐसे व्यक्ति दूसरे को क्षमा करने की शक्ति तो रखते हैं लेकिन वह अपने अहंकार और घमंड में क्षमता के गुण को अपने जीवन में उतार नहीं पाते हैं और गरीबों का शोषण और अत्याचार करते हैं इसलिए आप हमेशा गांधी जी के विचारों को समझने की कोशिश करिए और उनका जीवन में अनुसरण कीजिए।
ताकत शारीरिक शक्ति से नहीं आती है। यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है। इस अनमोल विचार के माध्यम से गांधीजी कहना चाहते हैं कि व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी शारीरिक शक्ति से ताकतवर नहीं बन सकता है अगर उसे जीवन में ताकतवर बनना है तो अपने मन की आत्मविश्वास को मजबूत करना होगा और साथ में कुछ चीजों को करने के लिए उसके अंदर जबरदस्त इच्छा शक्ति की उर्जा का होना अति आवश्यक है तभी जाकर वहां अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा और जीवन में आगे बढ़ पाएगा क्योंकि सारी शक्ति तो एक दिखावा है और इस दिखावे से व्यक्ति को जीवन में बचना चाहिए अगर उसे अपने जीवन में कुछ चीजों को हासिल करनी है तो उसके अंदर सबसे जरूरी इच्छाशक्ति की प्रबल होना महत्वपूर्ण है।

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