लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लांट एक सुरक्षित प्रक्रिया : डॉक्टर विवेक विज

नई दिल्ली, 31 अक्तूबर 2020. लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया में प्रगति के साथ, लिवर फेलियर के रोगियों में एक बड़ी राहत देखने को मिली है। लिवर ट्रांसप्लान्ट के बाद मरीजों को एक नया, लंबा और बेहतर जीवन प्राप्त होता है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, भारत में लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लान्ट से गुज़रने वाले 15% मरीज विदेशी होते हैं। आज बेहतर सामाजिक जागरुकता के साथ, लगभग 85% लिवर डोनर जीवित होते हैं।

एक विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के लिवर ट्रांसप्लान्ट और जीआई सर्जरी विभाग के डायरेक्टर ( Director of Liver Transplant and GI Surgery Department of Fortis Hospital Noida ) व चेयरमैन, डॉक्टर विवेक विज ने बरेली में एक कार्यक्रम में बताया कि,
'जीवित या मृतक डोनर वह है जो अपना लिवर मरीज को दान करता है। लिवर ट्रांसप्लान्ट में प्रगति के साथ, आज भारत में मृतक डोनर के अंगों को मशीन में संरक्षित किया जा सकता है। दरअसल, मृतक डोनर के अंगों को कोल्ड स्टोरेज में सीमित समय के लिए ही रखा जा सकता है और लिवर को डोनर के शरीर से निकालने के 12 घंटो के अंदर ही ज़रूरतमंद मरीज के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाना चाहिए। जबकि मशीन संरक्षित लिवर की बात करें तो पंप के जरिए खून का बहाव जारी रहता है जिससे लिवर सामान्य स्थिति में रहकर लंबे समय तक पित्त का उत्पादन कर पाता है।'
डॉक्टर विवेक ने अधिक जानकारी देते हुए कहा कि,
'लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया में लिवर के केवल खराब भाग को प्रत्यारोपित किया जाता है। सर्जरी के बाद डोनर का शेष लिवर दो महीनों के अंदर फिर से बढ़ने लगता है और पुन: सामान्य लिवर का आकार ले लेता है। इसी प्रकार रिसीवर का प्रत्यारोपित लिवर भी अपने सामान्य आकार में बढ़कर, फिर से सही ढंग से काम करने लगता है। भारत में लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया समय के साथ अधिक सुरक्षित व सफल बनती जा रही है। इसकी मुख्य वजह बढ़ती जागरुकता है, जहां लोग स्वेच्छा से जीवित या मृतक डोनर का लिवर ज़रूरतमंद रोगियों को दान कर रहे हैं।'
क्या है लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया | What is liver transplant procedure
लाइव डोनर लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया संबंधित विशेषज्ञों की मंजूरी के बाद ही की जा सकती है। सभी दान राज्य द्वारा अधिकृत प्राधिकरण समिति की मंजूरी के बाद ही किए जा सकते हैं। यदि कोई विदेशी अंगदान करना चाहता है या ट्रांसप्लान्ट करवाना चाहता है तो उसे पहले स्टेट क्लियरेंस सर्टिफ़िकेट के साथ संबंधित एंबेसी से मंजूरी लेनी पड़ती है। सर्जरी से पहले डोनर रिस्क और ऑपरेशन की सफलता के बारे में साफ-साफ बात की जाती है। हालांकि, एलडीएलटी से नैदानिक लाभ जारी रखने के लिए जीवित डोनर को हर हाल में बचाना आवश्यक होता है। ये सभी चीजें लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया को पूरी तरह सुरक्षित बनाती हैं।
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