प्रस्तावित गुर्जर आंदोलन से ठीक पहले चक्का जाम आन्दोलन को तैयार बैठे गुर्जर प्रतिनिधियों को मनाने की कवायद के तहत राजस्थान सरकार ने एक बार फिर से और बैठकें करके उनकी कुछ और मांगों को मान लिया है। हालांकि सरकार की यह बातचीत गुर्जर समाज के दूसरे गुट से हुई। जिसके नतीजों को गुर्जर आंदोलन समिति ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। वहीं बातचीत के साथ-साथ स्थिति से निपटने के लिए राजस्थान सरकार ने 8 जिलों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका लगाते हुए आन्दोलनकारियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।
गुजर महापंचायत के फैसले के अनुसार रविवार से पीलूपुरा शहीद स्थल पर प्रस्तावित गुर्जर संघर्ष समिति के चक्का जाम आन्दोलन को रोकने को लेकर राजस्थान सरकार ने आखिरी कोशिश शुरू कर दी। इसके तहत शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और खेल मंत्री अशोक चंदना, डीजीपी, एसीएस निरंजन आर्य, प्रमुख सचिव गृह अभय कुमार की बनी समिति ने बातचीत के लिए आगे आए समाज के 41 प्रतिनिधियों के साथ दिन भर बैठक कीं।
इस दौरान उनकी बाकी मांगों को पूरा करने और उस पर कानूनी अड़चनों को लेकर बातचीत की। देवनारायण बोर्ड में गुर्जर समाज के प्रतिनिधि को चेयरमैन बनाकर सदस्य तय करने, आन्दोलन के दौरान मरने वाले लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने पर तो सहमती बनी। लेकिन कोर्ट के खारिज किए पदों पर 5 फीसदी आरक्षण के अनुसार बैकलॉग पदों को भरने को लेकर माथापच्ची जारी रही।
सरकार ने साफ किया की कानून के अनुसार गुर्जरों की जो भी मांग थी, उसे पूरा किया जा चुका है और आगे भी कुछ और मांगों को पूरा करने के लिए प्रयास होंगे। एक तरफ बातचीत का दौर जारी था वहीं प्रस्तावित आन्दोलन के दौरान हिंसा और तनाव की आशंका को देखते हुए सरकार ने राज्य के 8 जिलों में रासुका (NSA) लगा दिया है। जो कि अधिसूचना की तारीख से अगले 3 महीने तक आदेश प्रभावी रहेगा।
इसके बाद कोटा, बूंदी, झालावाड़, करौली, धौलपुर, भरतपुर, टोंक समेत अन्य गुर्जर बाहुल्य जिलों के कलेक्टर्स को आन्दोलनकारियों से सख्ती से निपटने, उन्हें गिरफ्तार या नजरबंद रखने जैसी अतिरिक्त शक्तियां मिल गई हैं। इस कानून के लागू होने के साथ ही कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में बाधा खड़ी करने या फिर आवश्यक सेवाओं को रोकने की कोशिश करने वाले लोगों को अब एनएसए के तहत गिरफ्तार किया जाएगा।
कहा जा रहा है कि गहलोत सरकार ने 8 जिलों में रासुका लगाकर वार्ता में शामिल नहीं हो रहे कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुट पर शिकंजा कस दिया है। राज्य सरकार बैंसला गुट को वार्ता के लिए लगातार बुला रही है, लेकिन बैंसला गुट वार्ता नहीं कर रहा ह। अब ऐसे में माना जा रहा है कि 1 नवंबर को यदि आंदोलन होता है तो सरकार बैंसला गुट के नेताओं को गिरफ्तार कर सकती है। आन्दोलन से पहले गुर्जरों को और भी ज्यादा उकसा देने वाले इस कदम को उठाने के पीछे सरकार में बैठे लोगों ने तर्क भी दिया।
मुख्य सचेतक महेश जोशी का कहना है कि यह भड़काने की कोशिश नहीं है। सरकार सभी संभावनाओं को लेकर विचार कर रही है। यदि आन्दोलन होता नजर आ रहा है तो उससे निपटने के लिए दोनों तरह के प्रयास हो रहे हैं हम बातचीत भी कर रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भी यदि आन्दोलन होता है तो उसकी भी तैयारी में हैं। यह एहतियातन उठाया गया कदम है। जिसे गलत अर्थों में नहीं लेना चाहिए।
दरअसल बैकलॉग एवं प्रक्रियाधीन भर्तियों में 5 प्रतिशत आरक्षण समेत 6 सूत्री मांगों को लेकर गुजरों की 17 अक्टूबर को हुई महापंचायत ने रविवार 1 नवंबर से भरतपुर के पीलूपुरा से आंदोलन की चेतावनी दी है। जिसके बाद अब इस आरक्षण आंदोलन को लेकर प्रशासन भी अलर्ट नजर आ रहा।
आन्दोलन वाले जिले भरतपुर और करौली में धारा 144 लागू कर दी गई है। भरतपुर में जीआरपी के 50 और आरपीएफ के 150 जवान के साथ पुलिस बल और केन्द्रीय सुरक्षा बल की अतिरिक्त कंपनियां बयाना पहुंच गई हैं। मोरोली में 36 गांव के पंच-पटेलों की बैठक में शामिल नेताओं पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। अब विपक्ष ने भी इसे लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।