HC का आदेश, CBI करेगी सीएम रावत के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार (27 अक्टूबर) को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को एक पत्रकार द्वारा उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की प्राथमिकी दर्ज करने और जांच करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति रवींद्र मैथानी की पीठ ने उस मामले में यह फैसला दिया जिसमें एक उमेश शर्मा (स्थानीय समाचार चैनल 'समचार प्लस' के मालिक) ने रावत से संबंधित एक वीडियो (जुलाई 2020 में) बनाया था जो वर्ष 2016 में गौ सेवा आयोग का नेतृत्व करने के लिए झारखंड में एक व्यक्ति (एएस चौहान) की नियुक्ति के लिए उनके रिश्तेदारों के खातों में रुपये ट्रांसफर करने में रावत (भाजपा के झारखंड प्रभारी के रूप में) की कथित भूमिका के लिए था।
अदालत ने निर्देश दिये हैं कि मामले से जुड़े सभी दस्तावेज देहरादून की सीबीआई को दो दिन के अंदर सौंपे जायें। साथ ही अदालत ने सीबीआई को कहा है कि याचिका के पैरा नंबर आठ में लगाये गये आरोपों के मामले में मामला दर्ज जांच करे। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता उमेश शर्मा को राहत देते हुए उनके खिलाफ नेहरू कालोनी थाने में दर्ज मामले को निरस्त कर दिया है। अदालत की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जो आरोप लगाये गये हैं वे प्रथम दृष्टया गलत लगते हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज दूसरी प्राथमिकी पर भी प्रश्नचिन्ह लगाये हैं।
दरअसल मामला मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के झारखंड राज्य के प्रदेश प्रभारी से जुड़ा हुआ है। याचिकाकर्ता उमेश शर्मा की ओर से पृथक-पृथक याचिका दायर कर कहा गया है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बतौर प्रदेश प्रभारी झारखंड भाजपा के नेता अमृतेश सिंह चौहान को झारखंड के गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाये जाने को लेकर घूस ली थी और आरोप है कि अमृतेश सिंह चौहान की ओर से घूस की रकम मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदारों के बैंक अकाउंट में जमा करायी गयी।
मुख्यमंत्री की ओर से घूस की इस रकम का इस्तेमाल अपने चुनाव में किया गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री के करीबी की ओर से इसी साल जुलाई में देहरादून के नेहरू कालोनी थाने में उनके खिलाफ भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 420, 467, 468, 469, 471 व 120बी के तहत मामला दर्ज कराया गया। शिकायतकर्ता हरेन्द्र सिंह रावत की ओर से कहा गया कि उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया गया है कि उनके तथा उनकी पत्नी सविता रावत के बैंक अकाउंट में अमृतेश सिंह चैहान की ओर से घूस की रकम जमा करायी गयी है। यह भी कहा गया है कि सविता रावत मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन है।
शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया है कि उमेश शर्मा एक ब्लैक मेलर है और उसने जो आरोप लगाये हैं वह सब गलत हैं। इसके बाद पुलिस की ओर से इस मामले की जांच की गयी और पुलिस ने वीडियो में लगाये गये आरोपों को गलत बताया है। हालांकि याचिकाकर्ता की ओर से इन्हें सही बताया गया और कहा गया कि उनके खिलाफ दर्ज किये गये मामले गलत तथा दुर्भावना से प्रेरित हैं। याचिकाकर्ता की ओर से उनके खिलाफ दायर मामलों को निरस्त करने की मांग की गयी। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की अदालत में हुई और अदालत ने सीबीआई को याचिका के पैरा आठ में उठाये गये बिन्दुओं पर मामला दर्ज करने के निर्देश दिये हैं। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार उमेश शर्मा ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। एक मामले में सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग करने सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। याचिकाकर्ता उमेश शर्मा ने सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए कहा कि प्रो. हरेंद्र सिंह रावत व उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किए और यह पैसे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को देने को कहा है। इस वीडियो में डॉ. सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया।
रिपोर्टकर्ता की ओर से कहा गया था कि ये सभी तथ्य झूठे और बेबुनियाद हैं और उमेश शर्मा ने बैंक के कागजात कूटरचित तरीके से बनाये हैं। याचिकाकर्ता उमेश शर्मा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल व अन्य ने पैरवी की। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के दौरान हुए लेनदेन के मामले में उमेश शर्मा के खिलाफ झारखंड में मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसमें वे पहले से ही जमानत पर हैं । इसलिए एक ही मुकदमे के लिए दो बार गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने फैसला सुनाते हुए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करते हुए इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराने के निर्देश जारी किए हैं।
- एजेंसी

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